चीन और ताइवान के बीच विवाद अब और धधक उठा है। दोनों देश आपस में तीखी बयानबाजियां कर अपना-अपना माहौल बना रहे हैे। नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद से तो चीन एकदम गर्म हो उठा है। हालांकि पहले भी दोनों देश यानी अमेरिका और चीन के रिश्ते अच्छे नहीं थे। कोरोना के बाद से ही इन दोनों देशों में तनाव बरकरार है। अब ताइवान से सटे इलाकों में चीन ने युद्धाभ्यास करना शुरू कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बृहस्पतिवार को चीन की तरफ से 11 मिसाइलें दागी गई। इसकी पुष्टी ताइवान सरकार ने की है। उनके आस-पास से मिसाइलें फायर हुई हैं, लेकिन कहा ये जा रहा है कि मिसाइल जापान में जाकर गिरी हैं। इस बात की पुष्टी खुद जापान के रक्षा मंत्री ने की है।
ताइवान भेजी और जापान गिरी चीन की मिसाइल
जापान के रक्षा मंत्री की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन की ओर से दागी गई पांच मिसाइलें जापानी क्षेत्र में गिरीं। यह एक गंभीर मामला है क्योंकि इसका सीधा संबंध हमारे देश की सुरक्षा से है। हम लोगों की सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते। वैसे चीन की यह हरकत इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि बुधवार को ताइवान के एयर जोन में 27 चीनी लड़ाकू विमान देखे गए। उस कार्रवाई के चलते ताइवान ने भी अपने मिसाइल सिस्टम को सक्रिय कर दिया। अब उस टकराव के बाद गुरुवार को दोनों देश फिर आमने-सामने आ गए हैं। सैन्य अभ्यास के नाम पर चीन लगातार ताइवान को चेतावनी दे रहा है, मिसाइलें डराने का काम कर रही हैं।
चीन-ताइवान तनाव की अमेरिका ने लिखी पटकथा
अब दोनों देशों के बीच शुरू हुए इस तनाव की पटकथा अमेरिका ने लिखी है। जब से अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया, चीन की ओर से धमकियों का दौर शुरू हो गया। अब पेलोसी ताइवान से चली गई है, लेकिन अमेरिका की महज एंट्री से दोनों देशों के बीच विवाद काफी बढ़ गया है। जानकारी के लिए बता दें कि आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी सेना 4 से 7 अगस्त तक 6 अलग-अलग इलाकों में सैन्य अभ्यास भी करेगी, जो ताइवान के द्वीप को चारों तरफ से घेरे हुए है।
अभी और बढ़ सकता है तनाव
इसके अलावा ग्लोबल टाइम्स ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि चीन का यह अभ्यास अभूतपूर्व है क्योंकि पीएलए मिसाइलों के पहली बार ताइवान के द्वीप के ऊपर से उड़ान भरने की उम्मीद है। ऐसे में जारी तनाव और भी बढ़ सकता है। फिलहाल अमेरिका ताइवान की मदद करने की बात तो जरूर कर रहा है, सुरक्षा देने की गारंटी भी दे रहा है। लेकिन जमीनी हालात को देखते हुए ताइवान अमेरिका पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर सकता।