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चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत द्वारा जब्त किए गए चीनी कार्गो पर सफाई दी , कहा – हीट ट्रीटमेंट फर्नेस शेल सिस्टम है सैन्य सामग्री नहीं

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लीच्येन ने भारत द्वारा जब्त किए गए चीनी कार्गो पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि संबंधित कार्गो एक चीनी निजी कारोबार द्वारा उत्पादित ‘हीट ट्रीटमेंट फर्नेस शेल सिस्टम’ है, सैन्य सामग्री नहीं है, साथ ही चीन के निर्यात में पाबंदी लगाने वाली सामग्री भी नहीं है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ लीच्येन ने भारत द्वारा जब्त किए गए चीनी कार्गो पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि संबंधित कार्गो एक चीनी निजी कारोबार द्वारा उत्पादित ‘हीट ट्रीटमेंट फर्नेस शेल सिस्टम’ है, सैन्य सामग्री नहीं है, साथ ही चीन के निर्यात में पाबंदी लगाने वाली सामग्री भी नहीं है। 
भारतीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) के विद्वानों ने साबित किया कि चीन के दाछ्वेइयुन नामक कार्गो जहाज में जब्त सामग्री से लंबी दूरी की मिसाइल या उपग्रह के रॉकेट इंजन बनाये जा सकते हैं। 
भारतीय अधिकारी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित बिल के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र को रिपोर्ट दे सकेगा और चीन व पाकिस्तान के बीच न्यूक्लियर प्रसार के संपर्क का पर्दार्फाश करेगा। 
प्रवक्ता चाओ ने कहा कि एक जिम्मेदार देश होने के नाते, चीन हमेशा अंतर्राष्ट्रीय न्यूक्लियर अप्रसार का कर्तव्य निभाता है। ये कार्गो बिलकुल सैन्य सामग्री नहीं है, साथ ही चीन के न्यूक्लियर प्रसार और निर्यात की पाबंदी लगाने वाली सामग्री भी नहीं है। 
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोविड-19 के स्रोत की जांच चल रही है, इसके स्रोत का अब भी पता नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने इसे कोविड-19 नाम दिया, क्योंकि यह नाम किसी भी देश और क्षेत्र से जुड़ा नहीं है। चीनी आधिकारिक श्वसन विशेषज्ञ चोंग नानशांग ने कहा कि इस वायरस के संक्रमण का पहला मामला चीन में आया है, लेकिन इससे साबित नहीं होता कि वायरस का स्रोत चीन में ही है।
 
उन्होंने यह भी कहा कि हमें एक साथ सूचना वायरस और राजनीतिक वायरस का विरोध करना चाहिए। कुछ मीडिया संस्थाओं ने बिना तथ्यों के कोविड-19 को चीनी वायरस कहा है, यह पूरी तरह गलत है। 
कोविड-19 पूरी दुनिया के लिए एक आम चुनौती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक साथ सहयोग कर इससे निपटना चाहिए। महामारी के बीच हमें वैज्ञानिक और तर्कसंगत सहयोग करने की जरूरत है। 

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