एक चीनी वैज्ञानिक डॉ ली-मेंग यान ने कहा है कि विश्व में तबाही मचाने वाला कोरोना विषाणु चीन की वुहान स्थित प्रयोगशाला में बनाया गया था और उनके पास इस बात को साबित करने के सभी प्रमाण हैं। चीन छोड़कर बाहर रह रही विषाणु विज्ञानी डॉ यान इस तरह का खुलासा करने वाली दूसरी वैज्ञानिक है कि कोरोना विषाणु को वुहान की प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों ने ही बनाया था।
डॉ यान ने कहा कि उनके पास इस बात को साबित करने के प्रमाण हैं कि यह विषाणु मानव निर्मित हैं। उनसे पहले फ्रांस की नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक ल्यूक मोंटाग्नियर ने भी अप्रैल में दावा किया था कि कोरोना विषाणु को चीनी वैज्ञानिकों ने वुहान की प्रयोगशाला में बनाया था। डॉ यान ने बताया कि चीन को इस विषाणु के प्रसार की पूरी जानकारी थी और उसने बहुत देर बाद सार्वजनिक रूप से कोरोना संक्रमण को स्वीकारा था।
उन्होंने बताया कि उनके पास इस तरह के पूरे प्रमाण हैं कि यह विषाणु कृत्रिम तरीके से वुहान की एक प्रयोगशाला में ही बनाया गया था और यह किसी फूड मार्किट से नहीं आया है। इस विषाणु का जीनोम अनुक्रम मानव फिंगर प्रिंट जैसा ही है और इस बात के सभी प्रमाण उनके पास हैं तथा वह लोगों को इस बात के लिए जागरुक करेंगी कि विषाणु चीन की एक प्रयोगशाला में ही बना था।
उन्होंने कहा,‘‘ मेरे देश छोड़ने से पहले ही चीनी अधिकारियों ने मेरे बारे में गलत बयानबाजी करनी शुरू कर दी थी और मुझसे जुड़ सभी तरह की जानकारियों को डिलीट कर दिया था तथा लोगों को मेरे बारे में अफवाहें फैलाने को कहा था।’’ गौरतलब है कि वह काफी पहले ही चीन छोड़कर चली गईं थी।
पिछले वर्ष दिसंबर में एक चीनी वैज्ञानिक ली वेनीलांग ने चेतावनी दी थी कि एक विषाणु जो फ्लू विषाणु की तरह ही है और लोगों के श्वसन तंत्र को निशाना बनाता है। इसके बाद पुलिस ने उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने की चेतावनी दी थी और बाद में वुहान में मरीजों का इलाज करते समय डॉ ली इस विषाणु के संक्रमण का शिकार हो गए थे और उनकी मौत हो गई थी।