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सैन्य बातचीत से पहले बोला चीन-भारत के साथ सीमा विवाद को उचित ढंग से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध

भारतीय पक्ष पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी और देमचोक में तनाव को कम करने के लिए वार्ता में विशिष्ट प्रस्ताव रख सकता है। यह पूर्वी लद्दाख के वे तीन क्षेत्र हैं जहां दोनों पक्षों के बीच पिछले एक महीने से कटु विवाद चल रहा है।

भारत और चीन के बीच लद्दाख क्षेत्र में लगभग एक महीने से तनाव जारी है। इस बीच चीन इस विवाद को बातचीत कर सुलझाने के लिए तैयार है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने शुक्रवार को इस संबंध में बयान जारी किया है। वहीं इस पूरे विवाद को लेकर शनिवार को चीनी और भारत के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की चर्चा होनी है। 
दोनों पक्षों का नेतृत्व दोनों देश की सेनाओं के लेफ्टिनेंट जनरल करेंगे। जेंग शुआंग ने बयान दिया कि भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर हालात काबू में हैं और स्थिर हैं। दोनों देशों के पास बॉर्डर पर बात करने का मैकेनिज्म है और सेना की बातचीत और डिप्लोमेटिक रास्ते से दोनों मुद्दे को सुलझा सकते हैं।
जेंग शुआंग ने कहा कि “इस वक्त चीन और भारत के बीच सीमा क्षेत्र में स्थिति कुल मिलाकर स्थिर है और नियंत्रण-योग्य है।” उन्होंने कहा, “हमारे पास सीमा से संबंधित पूर्ण विकसित तंत्र है और हम सेना एवं कूटनीतिक माध्यमों के जरिए करीबी संवाद बनाए हुए हैं।”  गेंग ने कहा, “हम संबंधित मुद्दे के उचित समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं।” 
नई दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लेह के 14 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह इस वार्ता मे भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं जो किसी सीमा बैठक स्थल पर होगी। सूत्रों ने कहा कि भारतीय पक्ष पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी और देमचोक में तनाव को कम करने के लिए वार्ता में विशिष्ट प्रस्ताव रख सकता है। 
यह पूर्वी लद्दाख के वे तीन क्षेत्र हैं जहां दोनों पक्षों के बीच पिछले एक महीने से कटु विवाद चल रहा है। यह तत्काल पता नहीं चल पाया है कि भारतीय सेना वार्ता की मेज तक किन प्रस्तावों को ले जाएगी लेकिन समझा जाता है कि वह सभी इलाकों में यथास्थिति पर लौटने पर जोर दे सकती है। 
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच स्थानीय कमांडर से लेकर दोनों सेनाओं के जनरल रैंक तक के अधिकारियों के बीच 10 चरण की वार्ता हो चुकी है लेकिन इन वार्ताओं से किसी तरह का सकारात्मक परिणाम नहीं निकला है। यह भी समझा जाता है कि 2017 के डोकलाम विवाद के बाद दोनों सेनाओं के बीच सबसे गंभीर सैन्य विवाद का रूप ले रही आमने-सामने की लड़ाई के समाधान के लिए दोनों पक्ष कूटनीतिक वार्ता भी कर रहे हैं। 
पिछले महीने की शुरुआत में विवाद शुरू होने के बाद, भारतीय सेना नेतृत्व ने फैसला किया कि वह भारतीय सैनिक पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित इलाकों में चीनी सैनिकों के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए कड़ा रुख अपनाएगा। 
समझा जाता है कि चीनी सेना ने पेंगोंग त्सो और गलवान घाटी में करीब 2,500 सैनिकों की तैनाती की है। साथ ही वह अस्थायी अवसंचरना और हथियारों के जखीरे को भी बढ़ा रहा है। सूत्रों ने कहा कि भारत भी अतिरिक्त सैनिकों और तोपें भेजकर अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है। 

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