बलूचिस्तान में पाकिस्तान के जुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली एक्टिविस्ट करीमा बलोच की मौत हो गई है। कनाडा में रहस्यमय परिस्थितियों में उनका शव बरामद हुआ है। मौत के पीछे का कारण अभी सामने नहीं आया है। करीमा बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना के उत्पीड़न से बचकर कनाडा में रिफ्यूजी के तौर पर रह रही थीं।
बीबीसी ने 2016 में उन्हें दुनिया की 100 सबसे प्रेरणादायक और प्रभावशाली महिलाओं में से एक के रूप में नामित किया था। करीमा को देश और विदेश में बलूचों की सबसे मजबूत आवाज में से एक के रूप में जाना जाता था। बलूचिस्तान पोस्ट के अनुसार, करीमा रविवार दोपहर को लापता हो गईं थीं। इसके बाद सोमवार को उनके परिवार ने कहा कि उन्हें उनका शव मिला है।
इसी तरह एक और घटना में पाकिस्तान से असंतुष्ट बलूच पत्रकार साजिद हुसैन स्वीडन में मृत पाए गए। वह भी लापता हो गए थे और बाद में उनका शव मिला। बलूचिस्तान, पाकिस्तान का एक संसाधन-संपन्न और संघर्ष-ग्रस्त प्रांत है जहां पर पाकिस्तान सेना द्वारा गंभीर और व्यापक तौर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन करने के आरोप हैं। यहां सैन्य दमन के कारण उग्रवाद पैदा हुआ और पाकिस्तान से आजादी के लिए आंदोलन हुआ।
करीमा बलूचिस्तान की उन हजारों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से एक थीं जिन्होंने कनाडा में राजनीतिक शरण मांगी थी। मंगलवार को सोशल मीडिया पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कनाडा में करीमा के भाषण के वीडियो क्लिप डाले, जिसमें वे जस्टिन ट्रूडो सरकार द्वारा समायोजित किए गए बलूच लोगों के लिए पाकिस्तानी उत्पीड़कों द्वारा खतरे के बारे में चेता रहीं थीं। कई लोगों ने टोरंटो में उनकी रहस्यमय मौत की जांच कराने की मांग की है।