इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अल अजीजिया स्टील मिल से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में 7 साल की सजा निलंबित करने की अपील संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस आमिर फारूक और जस्टिस मोहसिन अख्तर कयानी की खंडपीठ ने गुरुवार को बचाव पक्ष के वकील ख्वाजा हारिस अहमद और राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो के अतिरिक्त महाभियोजक जहांजेब भरवाना की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
ख्वाजा हारिस ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि मेडिकल बोर्ड ने बताया है कि उनके मुवक्किल कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं और उन्हें बेहतर इलाज की जरूरत है। उन्हें किडनी और दिल की बीमारियां तथा मधुमेह और हाइपरटेंशन की शिकायत है। उन्होंने कहा कि अपनी पसंद के चिकित्सक और अस्पताल से बेहतर इलाज पाना नवाज शरीफ का मौलिक अधिकार है।
नैब के अतिरिक्त महाभियोजक भरवाना ने सजा निलंबित करने का विरोध करते हुए कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से ऐसा पता नहीं चलता कि कैद में रहने से नवाज शरीफ की जान को खतरा है। उन्होंने कहा कि नवाज शरीफ की याचिका के साथ संलग्न एक पत्र के मुताबिक वह अपने इलाज के लिए ब्रिटेन जा सकते हैं।
इस पर खंडपीठ ने उन्हें याद दिलाया कि नवाज शरीफ का नाम देश से बाहर जाने की अनुमति नहीं मिलने वालों की सूची में शामिल है और वह सरकार की अनुमति के बिना विदेश नहीं जा सकते। गौरतलब है कि पाकिस्तान के नवाज शरीफ के वकील ने गत 26 जनवरी को हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने मुवक्किल की सजा निलंबित करने की मांग की है।
साथ ही खराब स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें जमानत देने की गुजारिश की है। अल-अजीजिया स्टील मिल मामले में जवाबदेही कोर्ट द्वारा 24 दिसंबर को सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद से शरीफ लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद हैं।