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रूस संकट को जलवायु को बर्बाद ना करने दें, UN प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने दुनिया को चेताया

दुनिया में इस वक्त रूस से जैविक ईंधन तेल, गैस और कोयले का आयात करने वाले देश फिलहाल उपलब्ध अन्य किसी भी विकल्प को अपना कर रूसी ईंधन पर अपनी निर्भरता कम या समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने सोमवार को चेताया कि यह कदम जलवायु परिवर्तन के जरिए दुनिया को बर्बाद करने वाला साबित होगा।  

जैविक ईंधन के उपयोग में कमी करने की नीतियों को या तो नजरअंदाज कर देंगे 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं रूस से जैविक ईंधन के आयात को समाप्त करने के लिए उपरोक्त सभी रणनीतियां अपना रहीं हैं, क्योंकि यूक्रेन पर रूस का हमला ग्लोबल वार्मिंग को खतरनाक स्तर से नीचे रखने की सभी आशाओं पर पानी फेर रहा है। साप्ताहिक पत्रिका ‘इकोनॉमिस्ट’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वीडियो संदेश में गुतारेस ने कहा, ‘‘जैविक ईंधन की आपूर्ति में तत्काल आने वाली भीषण कमी से देश इतनी बुरी तरह प्रभावित होंगे कि वे जैविक ईंधन के उपयोग में कमी करने की नीतियों को या तो नजरअंदाज कर देंगे या फिर उन्हें फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल देंगे।’’  

अपने देश की धरती से तेल और गैस निकालने’’ का सही मौका है 

उन्होंने कहा, ‘‘यह पागलपन है। जैविक ईंधन का नशा पक्का एक-दूसरे की बर्बादी सुनिश्चित करेगा।’’ रूस से सबसे ज्यादा जैविक ईंधन का आयात करने वाला जर्मनी खाड़ी देशों से तेल की आपूर्ति को बढ़ाना चाहता है और तरल प्राकृतिक गैस प्राप्त करने के लिए अपने देश में और टर्मिनलों का निर्माण करना चाहता है। अमेरिका में व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन पेसाकी ने इस महीने की शुरूआत में कहा था कि यूक्रेन युद्ध अमेरिका के तेल और गैस उत्पादकों के लिए ‘‘अपने देश की धरती से तेल और गैस निकालने’’ का सही मौका है।  

जैविक ईंधन पर वैश्विक अर्थव्यवस्था की निर्भरता समाप्त करने के प्रयासों पर रोक लगाने का नहीं 

हालांकि गुतारेस ने कहा, ‘‘यह वक्त जैविक ईंधन पर वैश्विक अर्थव्यवस्था की निर्भरता समाप्त करने के प्रयासों पर रोक लगाने का नहीं, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा के भविष्य की ओर तेजी से बढ़ने का है।’’ जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल में शामिल वैज्ञानिकों की दो सप्ताह लंबी बैठक शुरू होने की पृष्ठभूमि में गुतारेस का यह बयान आया है। 

वैज्ञानिक अपनी इस बैठक में धरती को गर्म करने वाले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देंगे। पिछले महीने जारी एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया था कि धरती की आधी आबादी जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरे से जूझ रही है और एक डिग्री के 10वें हिस्से की गर्मी बढ़ने पर यह खतरा और बढ़ेगा।