Donald Trump ने चुन लिया अपना विदेश मंत्री, इस शख्स से भारत-चीन को क्या नफा-नुकसान?

America New Foreign Minister: अमेरिका के नए विदेश मंत्री के लिए चुने गए मार्को रुबियो चीन पर हार्डलाइन लेने के लिए फेमस हैं। वहीं, भारत से संबंधों को मजबूत करने के मुखर समर्थक हैं।
Donald Trump ने चुन लिया अपना विदेश मंत्री, इस शख्स से भारत-चीन को क्या नफा-नुकसान?
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America New Foreign Minister : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के लिए चुना है। रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सार्वजनिक की है। अगर, मार्को पद की शपथ लेते हैं तो अमेरिका के टॉप राजनयिक के रूप में काम करने वाले पहले लैटिन अमेरिकन होंगे। वो फ्लोरिडा के मूल निवासी हैं। उनको ट्रंप की शॉर्टलिस्ट में सबसे आक्रामक उम्मीदवारों में से एक माना जाता था।

चीन समेत अन्य दुश्मनों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के पक्षधर

बीते कुछ साल में मार्कों ने अमेरिका के दुश्मनों के लिए सख्त रुख अपनाने की वकालत की है। चीन, ईरान और क्यूबा जैसे देशों द्वारा पेश चुनौतियों का ताकत से जवाब देने की रहनुमाई की है। 53 वर्षीय रुबियो सीनेट में अनुभवी विदेश नीति का नजरिया लाते हैं।

भारत से संबंधों को मजबूत करने के समर्थक

रुबियो के बारे में कहा जाता है कि वह भारत से संबंधों को मजबूत करने के मुखर समर्थक हैं। उन्होंने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में स्थापित किया है। बीते कुछ साल में उन्होंने अमेरिका और भारत सहयोग को प्रगाढ़ करने की कोशिशों की वकालत की है। खासतौर पर रक्षा और व्यापार के क्षेत्र को लेकर। रुबियो का भारत के प्रति समर्थन एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए कांग्रेस में द्विदलीय प्रयासों के अनुरूप है। उन्होंने अक्सर मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों की रणनीतिक अहमियत को उजागर किया। ऐसी नीतियों की वकालत की, जो न केवल साझा आर्थिक हितों को बढ़ाती हैं, बल्कि दोनों देशों के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को मजबूत करती हैं।

चीन की करते हैं आलोचना

चीन के मामले में रुबियो का रुख सख्त है। वो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के मानवाधिकारों के हनन, व्यापार प्रथाओं और दक्षिण चीन सागर में आक्रामक कार्रवाइयों की आलोचना कर चुके हैं। इतना ही नहीं उन नीतियों का समर्थन किया, जो चीन पर आर्थिक दबाव बढ़ाती हैं। इनमें प्रतिबंध और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर प्रतिबंध शामिल हैं।

जापान और दक्षिण कोरिया के भी समर्थक

उनके पिछले रिकॉर्ड को देखें तो वो चीनी प्रभाव के खिलाफ अमेरिका के सख्त रुख पर जोर देते रहेंगे। इसमें भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करना भी शामिल है।

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