विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां दक्षेस बैठक के बाद कहा कि केवल सार्थक सहयोग ही नहीं बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के अस्तित्व के लिए भी सभी प्रकार के आतंकवाद का खात्मा पूर्व शर्त है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दक्षेस के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में जयशंकर के उद्घाटन संबोधन का बहिष्कार किया था।
इस बैठक के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘हमारी केवल गंवा दिए मौकों की ही नहीं, बल्कि जानबूझकर पैदा बाधाओं की कहानी है। आतंकवाद भी उन्हीं में से एक है। हमारा मानना है कि सार्थक सहयोग ही नहीं, बल्कि हमारे क्षेत्र के अस्तित्व के लिए भी हर प्रकार के आतंकवाद का खात्मा पूर्व शर्त है।’’
Ours is really not just a story of missed opportunities but also of deliberate obstacles. Terrorism is among them.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 26, 2019
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दक्षेस के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में जयशंकर के उद्घाटन संबोधन का बहिष्कार किया था। पाकिस्तान में सत्तारूढ़ तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने कहा कि उनका देश भारत के साथ ‘‘तब तक कोई सम्पर्क नहीं’’ करेगा जब तक कि वह कश्मीर में ‘‘पाबंदी’’ समाप्त नहीं करता।
यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर यह बैठक कुरैशी की अनुपस्थिति में शुरू हुई। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने ट्वीट किया कि कुरैशी ने दक्षेस मंत्रियों की परिषद की बैठक में भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के शुरूआती संबोधन के समय शामिल होने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ तब तक कोई बातचीत शुरू नहीं करेगा ‘‘जब तक वह कश्मीर में पाबंदी समाप्त नहीं करता।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें कश्मीरियों के मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका संरक्षण हो और उनका दमन-शोषण नहीं किया जाए।’’ कुरैशी, जयशंकर के संबोधन के बाद ही वहां पहुंचे। बैठक के लिए देर से आने के बारे में पूछे जाने पर कुरैशी ने कहा कि वह कश्मीर पर विरोध स्वरूप भारतीय मंत्री के साथ नहीं बैठना चाहते हैं। जयशंकर से जब उनके संबोधन के दौरान उनके पाकिस्तानी समकक्ष की अनुपस्थिति पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा ‘‘नहीं’’।
बैठक से बाहर आते हुए कुरैशी ने कहा कि दक्षेस देशों ने अगला सम्मेलन इस्लामाबाद में आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसकी तिथि और समय अभी तय किया जाना है। उन्होंने कहा कि भारत इस्लामाबाद में बैठक करने के निर्णय पर ‘‘मौन’’ है। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के लिए गत अगस्त में संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त किए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
भारत के इस फैसले पर पाकिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। पाकिस्तान ने राजनयिक संबंधों को कमतर किया और भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया। भारत द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन नयी दिल्ली का रुख है कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त करना उसका आंतरिक मामला है।
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) एशिया का क्षेत्रीय समूह है। इसमें भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं। पिछले साल तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज दक्षेस के मंत्रियों की परिषद की बैठक में अपने संबोधन के बाद वहां से निकल गई थीं। उस समय जम्मू कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या और कश्मीर में मारे गए एक आतंकवादी का महिमामंडन करते हुए पाकिस्तान द्वारा डाक टिकट जारी करने के बाद दोनों देशों में तनाव था।