भारत सहित चार दक्षिण एशियाई देशों में पर्यावरण संकट से बच्चों को गंभीर खतरा: यूनिसेफ - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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भारत सहित चार दक्षिण एशियाई देशों में पर्यावरण संकट से बच्चों को गंभीर खतरा: यूनिसेफ

यूनिसेफ की एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया के चार देशों में भारत भी शामिल है जहां जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा का गंभीर खतरा है। यूनिसेफ ने बच्चों पर केंद्रित एक रिपोर्ट जारी की है।

दुनिया की प्रतिष्ठित संस्थान में शामिल यूनिसेफ की एक नयी रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया के चार देशों में भारत भी शामिल है जहां जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा का गंभीर खतरा है। यूनिसेफ ने बच्चों पर केंद्रित एक रिपोर्ट जारी की है। इसे जलवायु संकट एक बाल अधिकार संकट है: जलवायु परिवर्तन से बच्चों को खतरा सूचकांक (सीसीआरआई) नाम दिया गया है।
इस रिपोर्ट में चक्रवात और लू जैसे पर्यावरण संकटों से बच्चों को खतरे का आकलन किया गया है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भारत चार दक्षिण एशियाई देशों में से हैं, जहां बच्चों पर जलवायु संकट के प्रभाव का अत्यधिक जोखिम है। इन देशों की रैंकिंग क्रमशः 14वीं, 15वीं, 25वीं और 26वीं है। सीसीआरआई ने भारत को उन 33 अत्यंत उच्च जोखिम वाले देशों के बीच रखा है, जहां बाढ़ और वायु प्रदूषण, बार-बार होने वाले पर्यावरणीय संकट के कारण महिलाओं और बच्चों के लिए सामाजिक-आर्थिक प्रतिकूल परिणाम होते हैं।
चार दक्षिण एशियाई देशों समेत ‘‘अत्यंत उच्च जोखिम’’ के रूप में वर्गीकृत 33 देशों में से एक में करीब एक अरब बच्चे रहते हैं। अनुमान जताया गया है कि वैश्विक स्तर पर दो डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान बढ़ने पर 60 करोड़ से अधिक भारतीय आगामी वर्षों में गंभीर जल संकट का सामना करेंगे जबकि इसी दौरान शहरी क्षेत्रों में अचानक बाढ़ का खतरा भी बढ़ेगा। वर्ष 2020 में दुनिया में सबसे प्रदूषित हवा वाले 30 शहरों में से 21 शहर भारत में थे।
यूनिसेफ में भारत की प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन बाल अधिकारों का संकट है। बच्चों के संबंध में जलवायु परिवर्तन सूचकांक के आंकड़ों ने पानी और स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं तक अपर्याप्त पहुंच एवं जलवायु और पर्यावरणीय संकट के तीव्र प्रभाव के कारण बच्चों द्वारा सामना किए जाने वाले गंभीर जोखिम की ओर इशारा किया है।’’

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