अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से दुनियाभर में अलग-अलग विचार सामने आये हैं, अगर तालिबानियों की निंदा की जा रही है तो एक तबका ऐसा भी है जो उनके समर्थन में आगे आया है। इसी कड़ी में यूरोपीय संघ (ईयू) के विदेश नीति प्रमुख ने गुरुवार को अफगानिस्तान के पतन और तालिबान के उभार को एक “बड़ी विपत्ति” तथा “दुःस्वप्न” करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे खुफिया एजेंसियों की विफलता और अटलांटिक पार के सहयोग की खामियां उजागर हो गई।
ईयू के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने अफगानिस्तान में राष्ट्र निर्माण को महत्व नहीं दिया। बोरेल ने कहा कि अफगानिस्तान में पश्चिमी देशों की सेनाओं का लक्ष्य आतंकवाद का खात्मा, कानून का राज कायम करना और महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना था। बोरेल ने यूरोपीय संसद समिति के समक्ष कहा, “राष्ट्रपति बाइडन ने उस दिन कहा कि राष्ट्र निर्माण उनका इरादा कभी नहीं था। इस पर बहस की जा सकती है।”
स्पेनिश नेता ने कहा, “बीस साल बाद आप कह सकते हैं कि हम अपने अभियान के पहले चरण में सफल हुए लेकिन दूसरे में विफल रहे।” बोरेल के बयान के साथ ही यूरोपीय संसद के सदस्यों ने अफगानिस्तान के प्रति पश्चिमी देशों की प्रतिबद्धता नहीं होने पर नाराजगी जताई। बोरेल ने महीनों की बजाय कुछ दिन में ही अफगान सेना के हथियार डालने की जानकारी पहले से नहीं होने पर खुफिया एजेंसियों की भी आलोचना की।