लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

हर कोई यह जानने को बेताब, आखिर कब मिलेगा पाबंदियों से निजात, कब होगा कोरोना वैश्विक महामारी का अंत

मास्क पहनने, सामाजिक दूरी और लॉकडाउन लगने-हटने के साथ ही कोविड-19 वैश्विक महामारी के करीब 18 महीने बीत जाने के बाद, हर कोई यह जानने को बेताब है कि आखिर यह महामारी कब और कैसे खत्म होगी।

मास्क पहनने, सामाजिक दूरी और लॉकडाउन लगने-हटने के साथ ही कोविड-19 वैश्विक महामारी के करीब 18 महीने बीत जाने के बाद, हर कोई यह जानने को बेताब है कि आखिर यह महामारी कब और कैसे खत्म होगी। इस बारे में कुछ भी पक्के तौर पर कहना मुमकिन नहीं है, लेकिन हमारे पास कुछ हद तक वास्तविक लगने वाली उम्मीदों को जगाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं कि यह महामारी आगे आने वाले समय में किस तरह से बढ़ेगी।
कोविड-19 पहली बार नहीं है जब कोई कोरोना वायरस एक भयानक वैश्विक महामारी का कारण बना हो। यह अनुमान लगाया गया है कि “रूसी फ्लू”, जो 1889 में सामने आया था, वास्तव में इन्फ्लूएंजा नहीं था, बल्कि एक अन्य कोरोना वायरस, ओसी43 के कारण हुआ था।रूसी फ्लू वैश्विक महामारी पांच वर्षों तक करीब चार या पांच लहरों के साथ आती रही जिसके बाद यह गायब हो गई। इंग्लैंड और वेल्स में 1890 से ले कर 1891 तक इसके कारण सबसे ज्यादा मौतें हुईं। संभावित कारण, ओसी43 का प्रसार आज भी देखने को मिलता है लेकिन इससे गंभीर बीमारी होना दुर्लभ है।
मौजूदा साक्ष्य दिखाते हैं कि कोविड-19 फैलाने वाला सार्स-सीओवी-2 भी अभी रहने वाला है। यह निष्कर्ष वायरस पर काम कर रहे कई वैज्ञानिकों ने कुछ महीने पहले निकाला था। न तो टीके न ही प्राकृतिक संक्रमण वायरस को फैलने से रोक पाएगा।टीके प्रसार को भले ही घटाते हैं, लेकिन वे वायरस को पूरी तरह खत्म करने के लिए संक्रमण को उच्चतम स्तर पर पूरी तरह नहीं रोक पाते हैं। डेल्टा स्वरूप के सामने आने से पहले, हमने टीके की दोनों खुराकें ले चुके लोगों को भी वायरस से संक्रमित होते और इसे दूसरों में फैलाते देखा है। वायरस के अन्य स्वरूपों की तुलना में टीकों के डेल्टा स्वरूप से निपटने में कम प्रभावी होने के कारण, टीकाकरण के बाद भी संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है।
वैक्सीन की दूसरी खुराक मिलने के कुछ हफ्तों के भीतर संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी कम होने लगती है। और चूंकि संक्रमण के प्रति प्रतिरोधक क्षमता न तो पूर्ण है और न ही स्थायी, इसलिए ‘हर्ड इम्युनिटी’ (सामूहिक प्रतिरक्षा) असंभव है। इसका मतलब यह है कि कोविड-19 के स्थानिक होने की संभावना है, जिसमें दैनिक संक्रमण दर घटना इस बात पर निर्भर करती है कि पूरी आबादी में कितनी प्रतिरक्षा है।
अन्य मानव कोरोना वायरस हर तीन से छह साल में औसतन बार-बार संक्रमण का कारण बनते हैं। यदि सार्स-सीओवी-2 उसी तरह से व्यवहार करता है, तो इसका मतलब है कि ब्रिटेन में 16.6 प्रतिशत और एक-तिहाई लोगों यानी 1.1 से 2.2 करोड़ लोग औसतन हर साल या 30,000 से 60,000 लोग एक दिन में संक्रमित हो सकते हैं। लेकिन यह उतना डरावना नहीं है जितना लगता है।
हां, उभरते हुए अनुसंधान यह दर्शाते हैं कि रोगसूचक कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा सुरक्षा कम होती दिख रही है। गंभीर बीमारी से सुरक्षा – जो या तो टीकाकरण या प्राकृतिक संक्रमण से उत्पन्न होती है – बहुत अधिक समय तक चलने वाली होती है। नए स्वरूपों का सामना करने पर भी यह कम होती नहीं दिखती है।
कई अंत वाली महामारी
कोविड-19 कैसे समाप्त होगा, यह एक देश से दूसरे देश में भिन्न होगा। यह काफी हद तक प्रतिरक्षित लोगों के अनुपात पर निर्भर करता है और महामारी की शुरुआत के बाद से कितना संक्रमण हुआ है (और कितनी प्राकृतिक प्रतिरक्षा का निर्माण हुआ है)।ब्रिटेन और अन्य देशों में जहां अधिकांश आबादी को टीका लग चुका है और पिछले मामलों की संख्या भी अधिक है, वहां के ज्यादातर लोगों में वायरस के प्रति किसी न किसी प्रकार की प्रतिरक्षा होगी।
पूर्व प्रतिरक्षा वाले लोगों में, यह देखा गया है कि कोविड-19 कम गंभीर होता है। और जैसा कि प्राकृतिक रूप से दोबारा संक्रमण या बूस्टर टीकाकरण द्वारा समय के साथ अधिक लोगों की प्रतिरक्षा को बढ़ाया जाता है, हम नए संक्रमणों के बढ़ते अनुपात को बिना लक्षण वाले या सबसे खराब स्थिति में हल्की बीमारी करने वाला मान सकते हैं। वायरस हमारे बीच रहेगा, लेकिन बीमारी हमारे इतिहास का हिस्सा बन जाएगी।
लेकिन जिन देशों में पहले बीमारी के अधिक मामले नहीं दिखे हैं वहां ज्यादातर लोगों को टीका लगने के बाद भी, बहुत से लोग अतिसंवेदनशील बने रहेंगे।फिर भी, रूसी फ्लू से महत्वपूर्ण सबक यह मिलता है कि आने वाले महीनों में कोविड-19 का असर हो जाएगा, और यह कि अधिकांश देश निश्चित रूप से महामारी के सबसे बुरे दौर से गुजर चुके हैं। लेकिन यह अब भी महत्वपूर्ण है कि दुनिया की शेष कमजोर आबादी को टीके की पेशकश की जाए।
source-bhasha

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 × 5 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।