भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक से इतर क्वाड और आईबीएसए ( IBSA ) मीटिंग में भाग लिया।
शुक्रवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मीटिंग के चौथे दिन भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के समूह क्वाड; और भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका समूह IBSA की मंत्रिस्तरीय मीटिंगस में भाग लिया।
उन्होंने यूके के विदेश कार्यालय में राज्य मंत्री तारिक महमूद अहमद, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग, जापान के योको कामिकावा और बहरीन के अब्दुल्लातिफ बिन राशिद अल ज़यानी के साथ द्विपक्षीय मीटिंगस भी कीं।
क्वाड मीटिंग में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मौजूद रहे। सदस्य देशों ने आतंकवाद से लड़ते हुए और क्षेत्र के लिए विकास परियोजनाओं पर संयुक्त रूप से काम करते हुए भारत-प्रशांत क्षेत्र को 'धमकी और जबरदस्ती से मुक्त' रखने के लिए काम करने के अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया।
ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा और दक्षिण अफ्रीका के नलेदी पंडोर ने IBSA मींटिंग में भाग लिया, जो 3 देशों के बीच त्रि-महाद्वीपीय सहयोग पर केंद्रित थी।
बता दे कि विदेश मंत्री जयशंकर ने इसकी जानकारी ट्विटर यानि एक्स पर पोस्ट करके दी उन्होंने लिखा कि उनका संयुक्त बयान 'हमारी दक्षिण-दक्षिण एकजुटता की ताकत को प्रदर्शित करता है'।
अहमद के साथ मीटिंग के बाद, जयशंकर ने एक एक्स पोस्ट में बताया कि उन्होंने यूक्रेन से संबंधित हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की – जहां दोनों देश एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिलाते हैं – और द्विपक्षीय संबंधों का जायजा लिया।
वही, विदेश मंत्री जयशंकर ने कामिकावा के साथ पोस्ट किया कि उन्होंने 'हमारी विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी पर दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया। हमारे क्षेत्रीय, बहुपक्षीय और वैश्विक सहयोग और उन्हें आगे बढ़ाने पर चर्चा की'।
उन्होंने पोस्ट करके कहा कि उनकी और ज़ायानी के बीच 'कनेक्टिविटी, आर्थिक संबंधों और क्षेत्रीय गतिशीलता पर' अच्छी चर्चा हुई।
एक अन्य एक्स पोस्ट में विदेश मंत्री जयशंकर ने वोंग के साथ वैश्विक और क्षेत्रीय आकलन के आदान-प्रदान को 'मूल्यवान' बताया।
वोंग ने मीटिंग के बाद अपने एक्स पोस्ट में ये जानकारी दी कि उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक जुड़ाव सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया और भारत एक स्थिर, सुरक्षित क्षेत्र और एक ऐसी दुनिया में रुचि रखते हैं जिसमें सहमत नियमों को बरकरार रखा जाए और संप्रभुता का सम्मान किया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उच्च स्तरीय मीटिंग में शामिल नहीं हुए। जयशंकर 26 सितंबर को महासभा में भारत की ओर से बोलने वाले हैं।