डेटा लीक मामले में घिरे फेसबुक ने भरोसा वापस पाने के लिए एक नया एक्शन लिया है। फेसबुक पर यह भी आरोप है कि उसने कई देशों में लोकतांत्रिक चुनावों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। ऐसे में फेसबुक की नई पॉलिसी के अनुसार हर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए पैसा देने वाली संस्था या लोगों के नाम भी ऐड के साथ जारी किए जाएंगे।
फेसबुक के अनुसार सिर्फ यही नहीं विज्ञापन के लिए पैसे देने वाले की सत्यता की भी जांच होगी। फेसबुक की यह कोशिश चुनावों में बाहरी शक्तियों के दखलअंदाजी को कम करने के लिए है। इस पॉलिसी की जानकारी खुद मार्क जकरबर्ग ने दी। मार्क जकरबर्ग के अनुसार इस नए सिस्टम के लिए हमें हजारों नए लोगों को नौकरी देनी होगी, लेकिन हम यह पॉलिसी अमेरिका में नवंबर में होने वाले मिड टर्म इलेक्शन से पहले शुरू कर देंगे।
जकरबर्ग के अनुसार सबसे पहले इसकी शुरुआत अमेरिका से हो रही है, इसके बाद इसे दूसरे देशों में लागू किया जाएगा। जकरबर्ग ने कहा कि इस सिस्टम से पूरी तरह से रोक नहीं लग पाएगी। हां यह जरूर होगा कि जिस तरह से रूस ने 2016 के चुनावों में फेक अकाउंट और पेज के जरिए विज्ञापन चलाए थे, वैसा करना अब आसान नहीं होगा।
इसके साथ फेसबुक ने अपने बयान में कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और सोशल मीडिया के जरिए होने वाले राजनीतिक कैंपेनों पर भरोसा बढ़ेगा। किसी भी विज्ञापन को फेसबुक से सत्यापित करवाने के लिए पैसे देने वालों को अपनी पहचान और जगह उजागर करनी होगी। साथ ही जब तक उनकी सत्यता की जांच नहीं हो जाती तब तक राजनीतिक विज्ञापन चलाने की अनुमति नहीं होगी।
फेसबुक की यह घोषण जकरबर्ग की पेशी से एक हफ्ते पहले आई है। जकरबर्ग को अमेरिकी कांग्रेस में पेश होना है। उनसे वहां क्रैंब्रिज एनालिटिका द्वारा 87 मिलियन यूजर्स के पर्सनल डेटा लीक मामले में सवाल जवाब किए जाएंगे। क्रैंब्रिज एनालिटिका ने डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति चुनाव का कैंपेन मैनेज किया था।
फेसबुक की सीईओ शेरिल सैंडबर्ग ने मांगी माफी
आपको बता दें कि फेसबुक की सीईओ शेरिल सैंडबर्ग ने प्राइवेसी और डेटा प्रोटेक्शन विवाद पर एक बार फिर माफी मांगी है। सैंडबर्ग ने कहा कि उन्हें पता है कि हमने लोगों के प्राइवेट डेटा को सुरक्षित रखने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया। हम उसके लिए माफी मांगते हैं, लेकिन अब हम डेटा को सुरक्षित करने के लिए हर कदम उठा रहे हैं।
सैंडबर्ग ने बताया कि फेसबुक को 2015 में जानकारी मिली थी कि कैंब्रिज एनालिटिका को एक पोल के जरिए यूजर्स के प्राइवेट डेटा मिले हैं। फेसबुक ने जब उस पोल करवाने वाले रिसर्चर से बात की थी तो उसने भरोसा दिलाया था कि वे सारे डेटा डिलीट हो चुके हैं। हालांकि फेसबुक ने इसके बाद फॉलोअप नहीं किया और वह अपनी गलती स्वीकार करता है। सैंडबर्ग ने माना कि चुनाव के दौरान उन्हें इसे रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए थे।
सैंडबर्ग ने बताया कि प्राइवेट डेटा लीक मामले में जांच हो रही है और ऑडिट की जा रही है। अगर इस तरह के और मामले सामने आते हैं तो कार्रवाई होगी। वहीं ब्रुसेल्स में यूरोपियन यूनियन के प्रवक्ता से भी नई जानकारी मिली है कि यूरोपियन यूनियन के 2.7 मिलियन यूजर्स को इस डेटा स्कैंडल ने प्रभावित किया है. फेसबुक ने इस बात की पूष्टि की है।
क्या है मामला
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की मदद करने वाली एक फर्म ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ पर लगभग 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स की निजी जानकारी चुराने के आरोप लगे हैं। इस जानकारी को कथित तौर पर चुनाव के दौरान ट्रंप को जिताने में सहयोग और विरोधी की छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। इसे फेसबुक के इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक कहा जा रहा है।
देश और दुनिया का हाल जानने के लिए जुड़े रहे पंजाब केसरी के साथ।