जयपुर : पूर्व चुनाव आयुक्त ओ. पी. रावत ने शुक्रवार को कहा कि दुनिया में मौजूदा समय में जनता की राय को प्रभावित करने वाली फर्जी खबरें और लक्षित संचार मुख्य चुनौतियां हैं। राजनीतिक पार्टियों द्वारा खराब ईवीएम की शिकायतों का उल्लेख करते हुए रावत ने कहा कि चुनाव आयोग को भी आलोचना का सामना करना पड़ा क्योंकि सभी पार्टियों ने ऐसी धारणा बना दी है कि ईवीएम एक पार्टी को फायदा पहुंचाने का अच्छा माध्यम है।
रावत ने कहा कि सभी पार्टियों को ईवीएम के बारे में शिकायत थी। इससे आम आदमी के दिमाग में संशय पैदा हो गया लेकिन जांच में चुनाव आयोग इसमें बिल्कुल साफ निकला। ईवीएम में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। राजस्थान पत्रिका की ओर से आज यहां आयोजित पं. झाबरमल्ल शर्मा स्मृति व्याख्यान एवं सृजनात्मक साहित्य व पत्रकारिता पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए रावत ने उक्त बात कही।
उन्होंने कहा कि विकसित देशों की तरह भारत की ईवीएम भी अप्रचलित प्रौद्योगिकी पर आधारित है ताकि इसमें छेड़छाड़ ना की जा सके। लोगों ने इस बात पर सवाल खड़े किये थे कि विकसित देशों में ईवीएम काम में नहीं ली जाती। वहां आधुनिक ईवीएम का प्रयोग किया जाता जिनमें वाई फाई तकनीक, इंटरनेट से जुड़ी मशीनें होती हैं। लेकिन भारत की ईवीएम केवल केलकुलेटर जैसी ही है, और इसमें वाईफाई और इंटरनेट की सुविधा नहीं इसलिये छेड़छाड़ की गुजाइश नहीं है।
उन्होंने कहा कि हाल के चुनावों में काम में ली गई ईवीएम में यदि कोई दुर्भावना से छेड़छाड़ की कोशिश करता तो वह फैक्टरी मोड में चली जाती। रावत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में मीडिया की जिम्मेदारी बढ जाती है। मीडिया को लोगों को जागरूक बनाना चाहिए और जनता के हितों को सर्वोपरि रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में देश के सैनिकों की भागीदारी बढाने की दिशा में काम किया है। इलैक्ट्रोनिक ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट के प्रयोग से बेताशा भागीदारी बढी है। इसी तरह का प्रयास एनआरआई और माइग्रेंट कर्मियों के लिये भी किये जा रहे है।