भारतीय मूल के जाने माने लेखक एवं पूर्व शिक्षाविद् अहमद इस्सोप का 88 वर्ष की उम्र में दक्षिण अफ्रीका में निधन हो गया। इस्सोप के पारिवारिक मित्र असलम खोता ने बताया कि लेखक को कुछ दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार उनके गृह नगर लेनासिया में मंगलवार को किया गया।
इस्सोप का जन्म 1931 में भारत में हुआ था और बचपन में ही वह दक्षिण अफ्रीका चले गए थे। वहां उन्होंने अनेक डिग्रियां हासिल कीं और कई हाई स्कूलों में शिक्षक के तौर पर सेवाएं दीं, जिनमें शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में बतौर लेक्चरर उनकी सेवाएं शामिल हैं। अंग्रेजी साहित्य, खास तौर पर शेक्सपियर को लोकप्रिय बनाने में उनके योगदान के कारण उन्हें यहां बेहद पसंद किया जाता है।
उनके 13 प्रकाशित लेखन कार्यों में से अधिकतर में उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी समाज में भारतीय समुदाय की भूमिका के जिक्र के साथ ही श्वेत सरकार के शासनकाल में समुदाय के समक्ष पेश आई चुनौतियों का उल्लेख किया है।
इनकी लेखनी की धार ने उन्हें मुश्किलें भी कम नहीं दी। इसके कारण उनके पढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उनकी शुरुआती किताबों में से एक है ‘ द हाजी एंड अदर स्टोरीज’ है। इसके लिए उन्हें 1979 में इंग्लिश अकेडमी ऑफ साऊथ अफ्रीका ने प्रतिष्ठित ओलाइव स्क्रीनर पुरस्कार से सम्मानित किया।
वर्ष 2018 में इस्सोप को वार्षिक ‘साउथ अफ्रीका लिट्ररेरी अवार्ड’ में लाइफटाइम अचीवमेंट लिटरेरी अवार्ड प्रदान किया गया था। भारतीय मूल के उनके सहयोगी यूसुफ गार्डा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘उनके हाथों से शब्द ऐसे निकलते थे मानों वह कोई जादुई शिल्पकार हों।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम शब्द और साहित्य के मर्मज्ञ और दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजी साहित्य के ज्ञाता के तौर पर आपका सम्मान करते हैं, अहमद इस्सोप।’’