दुनियाभर के देशों पर मनी लांड्रिंग और आतंकी वित्तीय पोषण पर नजर रखने वाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को एक बार फिर झटका देते हुए उसे एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है। इस तरह से पाकिस्तान को किसी भी तरह की राहत नहीं दी गई है।
इस पर एफएटीएफ ने कहा कि मुख्य मुद्दा जिस पर पाकिस्तान को अभी ध्यान देना है, वह हाफिज सईद, मसूद अजहर जैसे संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता है। एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान लगातार निगरानी वाली सूची में बना रहेगा और उसने 27 में से 26 कार्यबिंदुओं को पूरा किया है।
आपको बता दें कि एफएटीएफ के इस समूह में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल हैं। इसके बाद एफएटीएफ की तरफ से पाकिस्तान को अगले छह महीने के लिए एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में रखने का औपचारिक ऐलान आज किया गया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान को 2018 के जून महीने में ही ग्रे सूची में डाला था. इसके बाद अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए एफएटीएफ के रिव्यू के दौरान भी पाकिस्तान को कोई राहत नहीं मिल पाई थी।
एफएटीएफ की सिफारिशों पर पाकिस्तान काम करने में विफल रहा है। इसके साथ ही, दौरान पाकिस्तान में विदेशों से और घरेलू स्तर पर लगातार आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद मिलती रही है। पाकिस्तान के एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बने रहने के बाद पहले से ही बदहाली की हालत झेल रहे पाक की आर्थिक स्थिति पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। इस लिस्ट में होने की वजह से उसे विश्व बैंक, आईएमएफ और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलने में समस्या बनी रहेगी। इसके साथ ही, दूसरे देशों से भी आर्थिक तौर पर मदद नहीं मिल पाएगी।