स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान (एसबीपी) की पूर्व गवर्नर शमशाद अख्तर ने इमरान खान मंत्रिमंडल में शामिल होने से इन्कार कर दिया है। डॉ. अख्तर ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत विशेष सहायक का ओहदा दिए जाने से मतभेदों के चलते इमरान खान मंत्रिमंडल में शामिल होने से मना किया है।
कैबिनेट डिवीजन ने 11 जुलाई को डॉ अख्तार को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत प्रधानमंत्री का विशेष सहायक नियुक्त करने को अधिसूचित किया था। यह विभाग व्यावहारिक रूप से अस्तित्व में नहीं था। करीब तीन माह की अवधि बीत जाने के बाद वह मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुईं।
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डॉ अख्तर ने कहा,‘‘ मैंने संघीय सरकार में शामिल नहीं होने का निर्णय किया है।’’ उन्होंने हालांकि मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने के कारण नहीं बताया। इमरान खान मंत्रिमंडल में 48 सदस्य हैं, जिसमें से 20 चुने हुए जनप्रतिनिधि नहीं हैं। डॉ अख्तर ने एसबीपी गवर्नर के अलावा 2018 के आम चुनाव के लिए गठित कार्यवाहक सरकार में वित्त मंत्री का दायित्व निभाया था।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सूत्रों ने दावा किया है कि जानी-मानी अर्थशास्त्री अपनी शख्सियत के अनुरूप पद चाहती थी। सूत्रों के अनुसार वह संघीय मंत्री दर्जा स्तर के साथ प्रधानमंत्री की सलाहकार के रुप में शामिल होना चाहती थी। सूत्रों के इस दावे को डॉ अख्तर ने खारिज कर दिया।
पूर्व गवर्नर ने कहा कि उन्होंने कभी भी विशिष्ट पोर्टफोलियों के लिए नहीं कहा था। प्रधानमंत्री के प्रवक्ता नदीम अफजल चान ने कहा कि उन्हें डॉ अख्तर के संघीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने के पीछे का कारण नहीं पता है।