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पेरिस समझौते को लागू करने के नियमों पर वैश्विक सहमति

निपट रहे सभी देशों के बीच विश्वास को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। सीओपी24 के अध्यक्ष माइकल कुर्तिका ने कहा, ‘सभी देशों ने अथक मेहनत की है।

 ऐतिहासिक 2015 पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते को लागू करने के लिए दुनियाभर के लगभग 200 देशों के बीच सहमति बन गई है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शनिवार को अंतिम घंटों में इस पर सहमति बनी। यह सहमति ब्राजील और तुर्की के विरोध के बाद बनी। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मलेन को सीओपी24 भी कहा जाता है।

 पेरिस समझौते की 133 पन्नों वाली नियमावली के साथ वार्ता खत्म हुई, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। पेरिस समझौता 2020 में लागू होगा। इन दिशानिर्देशों में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपट रहे सभी देशों के बीच विश्वास को बढ़ाने पर जोर दिया गया है। सीओपी24 के अध्यक्ष माइकल कुर्तिका ने कहा, ‘सभी देशों ने अथक मेहनत की है।

सभी देशों ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। सभी देश केटोवाइस से गर्व की अनुभूति के साथ जा सकते हैं, यह जानकर कि उनके प्रयास सफल हुए हैं।’ कुर्तिका ने कहा, ‘कैटोवाइस क्लाइमेट पैकेज में शामिल ये दिशानिर्देश 2020 से पेरिस समझौते के लागू होने का आधार प्रदान करता है।’ इस समझौते में कुछ मुद्दों पर आपत्ति जताते हुए भारत के मुख्य वार्ताकार रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत वैश्विक स्थिति के निर्णय में समानता के संदर्भ में अपना कड़ा संदेह व्यक्त करता है। उन्होंने कहा, ‘पेरिस समझौते की धारा 14 में समनता का विशेष तौर पर उल्लेख है।

यह संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन और पेरिस समझौते का बुनियादी सिद्धांत है। अगर प्रक्रिया, इनपुट, तकनीकी आकलन और वैश्विक स्थिति के आकलन में समानता का ध्यान नहीं रखा गया तो वैश्विक स्थिति के आकलन की यह पूरी प्रक्रिया ही बेकार हो जाएगी।’ संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सचिवालय के मुताबिक, इस समझौते के क्रियान्वयन से सभी क्षेत्र के लोगों विशेषकर वंचितों को लाभ होगा।

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