विश्व में सार्वजनिक और निजी कर्ज अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है जिससे एक बार फिर आर्थिक मंदी का खतरा पैदा हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने शनिवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक कर्ज ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुका है और कहा कि सभी देशों को ऐसी नीतियों का बहिष्कार करना चाहिए जो आर्थिक अस्थिरता को बढ़ाती है।
आईएमएफ के राजस्व विभाग के निदेशक विटोर गैसपर ने सलाह दी है कि संकट के जोखिम से निपटने के लिए सभी देश मजबूत सार्वजनिक वित्त व्यवस्था का निर्माण करे। आईएमएफ के मुताबिक, 2016 में वैश्विक कर्ज 164 ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है यह कुल जीडीपी का 225 प्रतिशत है।
गैसपर ने बताया है कि पिछले 10 सालों में मार्केट इकोनॉमी के बढ़ने से कर्ज में लगातार बढ़ोतरी हुई है और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, ‘हमारी कर्ज निरंतरता एनालिसिस के मुताबिक निम्न आय वाले 40 फीसदी देश उच्च जोखिम पर हैं या पहले से कर्ज में डूबे हुए हैं। यह अनुपात पांच सालों में दोगुना हो जाएगा।’ इस बढ़े हुए कर्ज में 2007 से चीन के अकेले की हिस्सेदारी 43 फीसदी है। आईएमएफ की नए रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले वैश्विक कर्ज 2009 में अपने उच्चतम स्तर पर था।
आईएमएफ ने संकेत दिए हैं वैश्विक कर्ज के कारण कई देशों के खर्च बढ़ाने की क्षमता पर भी असर देखा जाएगा और इससे उन देशों के विकास दर प्रभावित होंगे और वे मंदी का शिकार हो सकते हैं।
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