हमास और इजराइल के बीच युद्द को करीब 12 दिन हो चुके है युद्द लगातार बढता ही जा रहा है। इस युद्द मेंअमेरिका भारत समेत कई देश इजराइल का साथ दे रहे है वहीं हमास का साथ इरान जैसा देश दे रहा है। आपको बता दें ये वही इरान है जो एक समय में इजराइल का दोस्त था। लेकिन अब ईरान और इजराइल एक दूसरे के दुश्मन है क्योंकी अब ईरान हमास का साथ दे रहा है और खुलकर समर्थन भी कर रहा है। आपने बीते दिनों देखा होगा ईरान हमास की हर तरह से मदद कर रहा है।
दूसरी तरफ लेबनान हमास की ओर से इजराइल पर हमला कर रहा है।
इरजराइल और इरान कैसे बने दुश्मन
इस बीच ये जान लेना जरुरी हो जाता है कि आखिर कैसे इरजराइल और इरान की दोस्ती टूटी दोस्ती एसी टूटी की ईरान अब इरजराइल को तबाह करने वाले हमास का दोस्त बन चुका है।
इजराइल और ईरान की पुरी कहानी
वैसे तो इनकी कहानी बहुत लंबी है इस कहानी की शुरुआत साल 1979 में इस्लामिक क्रांति से हुई थी मोहम्मद रजा पहलवी जब ईरान के शासक थे, तब तक हमास से उनका कोई मतलब नहीं था, बल्कि उन्होंने इजराइल को मान्यता भी दी थी और व्यापार भी शुरू किया था वहीं जब ईरान में नई सत्ता आई वैसे ही इजराइल-ईरान के रिश्ते एकदम खत्म हो गए और इसी दौरान हमास की एंट्री हो गई हालांकि, तब हमास का यह रूप नहीं था, लेकिन चरमपंथ को बढ़ावा देने की अपनी नीति के तहत ईरान ने इस संगठन की मदद की लेकिन देखते ही देखते हमास लीडर्स कब ईरान के शासकों के करीब हो गए इसका किसी को पता तक नहीं चला जिसके बाद फिलीस्तीन मुक्त तो नहीं हुआ, लेकिन उसे तोड़कर एक चरमपंथी समूह उसी के एक हिस्से पर शासन करने लगाष खुमैनी फिलीस्तीन मुक्ति संगठन के समर्थक थे। वे मदद को तत्पर भी रहा करते थे, लेकिन जब ईरान-इराक युद्ध हुआ तो यासर अराफात ने इराक का समर्थन किया। यहीं से ईरान की नजरें इन पर टेढ़ी हो गई ।
हमास का दोस्त बना ईरान
इसके बाद से ही ईरान ने हमास का साथ देना शुरु कर दिया। गाजा पट्टी पर शासन करने के बाद ईरान ने हमास के प्रभाव को स्वीकार किया और उसे हर तरीके की मदद देना शुरू कर दिया। इस बीच हमास और फिलीस्तीन इस्लामिक जिहाद ने अमेरिका और इजराइल के खिलाफ आसपास के देशों के चरमपंथियों को भी एकजुट करने लगे। इनमें लेबनान का हिजबुल्लाह और सीरिया के संगठन शामिल थे।
हमास को कई देशों ने आतंकवादी घोषित किया
इन सबके बीच हमास को दुनिया के देशों ने आतंकवादी संगठन घोषित करना शुरू कर दिया। इस पहल के बाद हमास ईरान के करीब पहुंच गया और उसे समर्थन मिलने लगा। इसी समर्थन का फायदा हमास ले रहा है। हमास इन्ही संगठनों की मदद से इजपाइल को तबाह कर रहा है।