शोधकर्ताओं का कहना है कि दवा कंपनी फाइजर द्वारा विकसित एंटीवायरस दवा पैक्सलोविड कोविड-19 के नये वैरिएंट के उपचार लिये भी कारगर है। अमेरिका में रटगर्स विश्वविद्यालय के शोधकतार्ओं का कहना है कि फाइजर की दवा पैक्सलोविड एक प्रमुख प्रोटीन की सेल मशीनरी को जाम कर देती है, जिसे मुख्य प्रोटीज या एमप्रो के रूप में जाना जाता है। यह प्रोटीन ही वायरस की संख्या बढ़ाने में मदद करता है। कोविड का ओमिक्रॉन वैरिएंट दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है और एशिया में अभी इसने तबाही मचायी हुई है।
कोरोना वायरस लगातार बदल रहा अपना रंग
कोविड के इलाज के लिये बहुत ही कम दवायें बाजार में उपलब्ध हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सक कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये पैक्सलोविड जैसी दवाओं पर भरोसा कर रहे हैं। सेल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक विश्लेषण के माध्यम से पता लगाया है कि वायरस अब अलग-अलग रूप ले रहा है और ये ऐसे स्ट्रेन उत्पन्न कर रहा है जिन पर मौजूदा उपचार विधि कामयाब नहीं है।
रटगर्स अर्नेस्ट मारियो स्कूल ऑफ फामेर्सी में मेडिसिनल केमिस्ट्री विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर जून वांग ने कहा, कम से कम फाइजर की दवा अभी के लिये उम्मीद है। उन्होंने कहा,ओमीक्रोन अभी भी काफी नया है इसी कारण उपचार अभी भी काम कर रहे हैं। वांग ने लेकिन चेतावनी दी है कि जैसे-जैसे अधिक लोग पैक्सलोविड लेंगे, तो दवा बेअसर होने लगेगी।
वैज्ञानिकों ने नए कोविड वेरिएंट पर कही यह बात
वैज्ञानिकों ने जीआईएसएआईडी के नाम से जाना जाने वाला एक सार्वजनिक डाटाबेस एक्सेस किया, जो अब तक पाये गये कोविड के सभी स्ट्रेन के एमप्रो अनुक्रमों का अध्ययन कर रहा है। दुनिया भर के चिकित्सकों द्वारा एकत्र कि ये गये पहले के कोरोना स्ट्रेन के साथ हाल के स्ट्रेन की तुलना करते हुये वैज्ञानिकों ने एमप्रो के आनुवंशिक अनुक्रमों में म्यूटेशन की खोज की। म्यूटेशन की वजह से एमप्रो की संभावित नयी संरचनायें सामने आ सकती हैं। इन नयी संरचनाओं का संबंध ही ड्रग रेजिस्टेंस से होता है।
ओमीक्रोन स्ट्रेन में शीर्ष 25 सबसे आम नये म्यूटेशन की हुई खोज
शोधकतार्ओं ने कई ओमीक्रोन स्ट्रेन के मुख्य प्रोटीज में शीर्ष 25 सबसे आम नये म्यूटेशन की खोज की। इनमें सबसे आम है-पी132एच। जब उन्होंने पी132एच म्यूटेशन पर फाइजर की दवा का परीक्षण किया, तो एंटीवायरल दवा प्रभावी साबित हुई। एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी द्वारा इसकी और पुष्टि की गयी, जिसमें दिखाकि एमप्रो की संरचना में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
वांग ने कहा, यह म्यूटेशन पैक्सलोविड के लिये प्रतिरोध का कारण नहीं बनता है, इसका मतलब है कि वायरस अभी और म्यूटेशन कर सकता है, जो दवा प्रतिरोध का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि जब किसी दवा का व्यापक उपयोग होने लगता है तो प्रतिरोध प्रकट होने में कुछ ही समय लगता है।