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हाईटेक अमेरिकी हथियार तालिबानियों के हाथ में कैसे पहुंचे, अपनी ही संसद में घिरे राष्ट्रपति जो बाइडन

रिपब्लिकन पार्टी के 24 से अधिक सीनेटरों ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के अरबों डॉलर के संवेदनशील सैन्य उपकरण तालिबान के हाथ लगने को लेकर जो बाइडन प्रशासन से बृहस्पतिवार को जवाब मांगा।

रिपब्लिकन पार्टी के 24 से अधिक सीनेटरों ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के अरबों डॉलर के संवेदनशील सैन्य उपकरण तालिबान के हाथ लगने को लेकर जो बाइडन प्रशासन से बृहस्पतिवार को जवाब मांगा। उन्होंने इस बात की संभावना को लेकर भी आगाह किया कि तालिबान इन उपकरणों का इस्तेमाल करने के लिए रूस, पाकिस्तान, ईरान और चीन जैसे देशों से मदद ले सकता है। 
रिपब्लिकन सांसदों ने रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन को लिखे पत्र में कहा, ‘‘जैसा कि हमने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद वहां से आ रही तस्वीरें देखीं और बेहद डर गए क्योंकि यूएच-60 ब्लैक हॉक्स समेत अमेरिका के कई उपकरण तालिबान के हाथ लग गए हैं।’’ पत्र में सीनेटर बिल क्लासिडी, मार्को रुबियो, टेड क्रूज और 22 अन्य रिपब्लिकन सांसदों ने बाइडन प्रशासन से करदाताओं के पैसे से खरीदे जाने वाले अमेरिकी सैन्य उपकरणों का हिसाब मांगा जो तालिबान के हाथ लगे हो सकते हैं। 
सीनेटरों ने लिखा, ‘‘यह अनुचित है कि अमेरिकी करदाताओं के पैसों से खरीदे जाने वाले उच्च तकनीक वाले सैन्य उपकरण तालिबान और उनके आतंकवादी सहयोगियों के हाथ लग गए। अफगानिस्तान से सेना की वापसी की घोषणा करने से पहले अमेरिका के रक्षा मंत्रालय की शीर्ष प्राथमिकताओं में अमेरिकी संपत्ति की रक्षा करना भी होना चाहिए था।’’ ऑस्टिन को लिखे अपने पत्र में, उन्होंने पिछले साल अफगान सशस्त्र बलों को प्रदान किए गए सैन्य उपकरणों का पूरा विवरण मांगा। 
पत्र में उन्होंने लिखा, ‘‘इस बात की भी आशंका है कि तालिबान उपकरणों का इस्तेमाल करने के लिहाज से जरूरी प्रशिक्षण, ईंधन या बुनियादी सुविधाओं के लिए रूस, पाकिस्तान, ईरान या चीन की मदद मांग सकता है।’’ पत्र में सांसदों ने पूछा है कि क्या बाइडन प्रशासन ने अफगानिस्तान में रह गये हथियारों को फिर से हासिल करने की या उन्हें तबाह करने की कोई कोशिश की है या ऐसी कोई योजना है जिन्हें आतंकवादी संगठन इस्तेमाल में ला सकते हैं। 

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