पाकिस्तान की सरकार ने देश में प्रतिबंधित समूह ‘तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान’ के आगे घुटने टेक दिए है और उन पर लगे प्रतिबंद को भी हटा लिया है। ‘तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान’ वही संगठन है जिसने हाल ही में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए थे जिसमें कई पुलिस कर्मी भी मारे गए थे। इमरान सरकार ने समूह के प्रमुख साद रिजवी की रिहाई की मांग को लेकर हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर दोनों पक्षों में हुए एक करार के कुछ दिनों बाद यह कदम उठाया है।
यह समझौता किसी भी समूह की ‘जीत या हार’ नहीं है : रिजवी
31 अक्टूबर को इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने घोषणा की, दोनों पक्षों के बीच हाल ही में हुई बातचीत के बाद टीएलपी के साथ एक समझौता हुआ है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर और संघीय मंत्री अली मोहम्मद खान, प्रोफेसर मुफ्ती मुनीब ने इस्लामाबाद में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। मुफ्ती मुनीब के हवाले से ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में कहा गया, टीएलपी प्रमुख साद रिजवी ने भी समझौते का समर्थन किया है और कहा है कि यह समझौता किसी भी समूह की ‘जीत या हार’ नहीं है।
सरकार पर भारी तनाव बनाया गया था
अक्टूबर में पंजाब के गुजरांवाला जिले में साधोक के पास हजारों टीएलपी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में कम से कम चार पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और 250 से अधिक घायल हो गए थे। इस दौरान टीएलपी ने भी अपने कई सदस्यों के मारे जाने का दावा किया था। हाल के समय में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला उस वक्त तेज हुआ, जब टीएलपी ने अपने दिवंगत संस्थापक खादिम रिजवी के बेटे हाफिज साद हुसैन रिजवी की रिहाई के लिए पंजाब सरकार पर दबाव डाला। साद रिजवी को पंजाब सरकार ने 12 अप्रैल से सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिरासत में रखा था।