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VIDEO : इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप मेंं शपथ ली

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इस्लामाबाद : पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को देश के 22वें प्रधानमंत्री पद की शपथग्रहण की। राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने ऐवान-ए-सदर(प्रेसीडेंट हाउस) में आयोजित एक सादे समारोह में श्री खान को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलायी। शपथग्रहण समारोह में कार्यवाहक प्रधानमंत्री नसीरूल हक, राष्ट्रीय संसद के अध्यक्ष असद कैसर, थलसेना अध्यक्ष जनरल कयूमर हावेद बाजवा, एयरचीफ मार्शल मुजाहिद अनवर खान और नौसेनास अध्यक्ष एडमिरल जफर अब्बसी मौजूद थे। इसके अलावा उपिस्थत अन्य हस्तियों में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ(पीटीआई) के वरिष्ठ नेताओं समेत भारतीय क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू, क्रिकेटर से कमेंटर बने रमीज रजा, क्रिकेट हस्ती वसीम अकरम, पंजाब विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष चौधरी परवेज इलाही, गायक सलमान अहमद एवं अबरारुल हक और अभिनेता जावेद शेख शामिल थे।

 

इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री के लिए चुनाव में श्री खान को 342 सदस्यों वाली नेशनल असेंबली में 176 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के शाहबाज शरीफ को केवल 96 मत मिले। श्री कैसर ने मतगणना के बाद श्री खान के नेता चुने जाने की घोषणा की। श्री खान ने आर्थिक संकट से जूझ रहे देश में गरीबों का जीवन स्तर उपर उठाने के लिए‘इस्लामिक कन्याणकारी देश’के गठन की भी वकालत की है। इसके अलावा उन्होंने एक‘नये पाकिस्तान’के निर्माण का भी संकल्प जताया है।

गौरतलब है कि नेशनल असेंबली के चुनाव 25 जुलाई को हुए चुनाव में पीटीआई सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। कुल 270 सीटों पर हुए चुनाव में पीटीआई को 116 सीटें मिली थी। इसके अलावा छोटे दलों ने श्री खान की पार्टी को समर्थन दिया है।

 भारत से नवजोत सिंह सिद्धू इमरान के शपथ समारोह में शामिल होने के लिए शुक्रवार को ही पाकिस्तान पहुंच चुके हैं।  इमरान के शपथ ग्रहण में देश-विदेश से मेहमान पहुंचने लगे हैं।

इमरान खान ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

इमरान खान की पत्नी बुशरा मेनका भी उनके शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचीं।

नवजोत सिंह सिद्धू और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा इस्लामाबाद में हो रहे इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे।

इमरान ने एक तीर से साधे दो निशाने 
इमरान खान कहते हैं कि भारत ने नवाज के साथ मिलकर पाकिस्तान की फौज को कमजोर किया है यानि एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पाकिस्तान की फौज को पूरी तरह से सर आंखों पर बिठाते हैं तो दूसरी और नवाज पर आरोप भी लगाते हैं और पाकिस्तान में भारत विरोधी भावना को भड़काते हैं। अपने चुनावी भाषणों में वह प्रधानमंत्री मोदी को काफी भला बुरा कह चुके हैं। वह कभी नहीं चाहेंगे कि पाकिस्तान की आवाम के सामने उनकी छवि ऐसे बने जिससे लगे कि वह भारत के सामने झुक गये हैं. इसलिये ऐसा लगता है कि इमरान की सत्ता आने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खी बढ़ भी सकती है।

कश्मीर मसले पर अड़ियल रुख
कश्मीर के मसले पर इमरान खान अड़ियल रुख अपनाते नजर आते हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर के मामला अपने तरीके से हल करना चाहते हैं, तो वह उनकी भूल है। उन्‍होंने पाकिस्तान की फौज की ताकत का हवाला भी दिया। वह यूएन रेजुलेशन के जरिए कश्मीर समस्या को सुलझाने की बात भी करते हैं, लेकिन इन सब बातों को चुनाव जीतने से पहले की एक ऐसी औपचारिकता मानी जाए, जिसमें भारत और पाकिस्तान दोनों के नेता एक दूसरे देश के खिलाफ आग उगल कर वोट जुटाने की कोशिश करते हैं तो यह इतना भर नहीं है।

‘तालिबान खान’ को होने का आरोप
इमरान खान की जीत भारत के लिए कई चिंताएं लेकर आई हैं। इमरान पर अपने ही देश में उदारवादी और विरोधी पार्टियों ने ‘तालिबान खान’ होने का आरोप लगाया है। जाहिर है इमरान खान ने मानवाधिकार की रक्षा के नाम पर जिस तरह से पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों में आतंकवादियों के खिलाफ सैनिक ऑपरेशन का विरोध किया उनकी सहानुभूति जीती और उन इलाकों में अपनी पैठ बनाई है। अब इमरान उसे और पुख्ता करने की कोशिश करेंगे। कई इलाकों में पाकिस्तान की सेना भी ऑपरेशन नहीं करना चाहती थी और इमरान खान के इस रूख ने उन्हें सहूलियत दी ताकि आतंकवादियों के खिलाफ एक्शन ना लिया जाए।

कश्मीर में बढ़ सकता है आतंकवादी ग‌तिवि‌धियां
पाकिस्तान ऐसे आतंकवादी हैं जिनको लेकर यह कहा जाता है कि पाकिस्तान की सेना के सहयोग उनकी मदद के बिना वह टिक नहीं सकते. अपने निहित स्वार्थों की वजह से इमरान और सेना यह गठजोड़ सत्ता तक पहुंचने के बाद क्या कर सकता है इसका अंदाजा हम खुद लगा सकते हैं। एक तरफ आतंकी तंजीम है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की सेना का हाथ भी पूरी तरह से उनकी पीठ पर रहा है। पाकिस्तान में विदेश नीति पर हमेशा से सेना का दखल रहा है। इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद वह पूरी तरह से सेना के हाथ में ही होगा. नवाज सरकार के साथ या उसके पीछे चुनी हुई किसी सरकार के साथ जब-जब भारत के रिश्ते बेहतर होने की दिशा में बड़े हैं या तो कोई बड़ा आतंकी हमला हुआ है या फिर पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर उल्लंघन किया गया है. मुंबई अटैक से लेकर पठानकोट हमले तक इसका उदाहरण है। भारत हमेशा से कहता रहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते तो सवाल ये है कि क्या पाकिस्‍तान की सत्ता भारत के खिलाफ आतंकवाद को खत्म करके जवाब देगी। ​

चीन की कठपुतली
यह नई बात नहीं है कि इमरान खान और चीन के बीच आपसी गठजोड़ के आरोप लग रहे हैं। 2013 में भी कमोबेश स्थिति यही थी लेकिन तब इमरान सत्ता तक नहीं पहुंच पाए और अब जब वह पहुंच रहे हैं तो भारत के लिए चुनौती बड़ी है. ​चीन, पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है. इकोनॉमिक कॉरीडोर इसी का ही नतीजा है। ऐसे में जब पाकिस्तान की प्रधानमंत्री ही चीन के हाथ का कठपुतली बन जायेगा तो भारत के लिये और चुनौती खड़ी हो सकती है। वहीं भारत को परेशान करने पर पाकिस्तान में इमरान की छवि भी भारत विरोधी बनेगी।

वैसे कूटनीति के रास्ते भारत के लिए हमेशा से खुले रहे हैं और आगे भी खुले रहेंगे, लेकिन पाकिस्तान की नई सत्ता और वह भी इमरान खान जिसके पीछे सेना खड़ी है उसके साथ बातचीत करना अपने आप में एक चुनौती है।

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