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भारत-प्रशांत सहयोग पर भारत, आस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका की अहम बातचीत

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चीन के बढ़ते दबदबे को चुनौती देने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका एकसाथ आए हैं। जहां भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और उसके भविष्य की स्थिति पर चारों देशों ने रविवार को मनीला में पहली बार चतुष्कोणीय अहम बातचीत की। वही चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत के बीच इन देशों ने माना है कि स्वतंत्र, खुला, खुशहाल और समावेशी इंडो-पसिफिक क्षेत्र से दीर्घकालिक वैश्विक हित जुड़े हैं।

बता दे की इस बैठक को इन चारो देशों के बीच चतुष्कोणीय सुरक्षा वार्ता व्यवस्था शुरू करने की दिशा में पहला कदम के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में उभरते सुरक्षा परिदृश्य के अलावा आतंकवाद तथा अन्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के उपायों पर चर्चा की।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि बातचीत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़वा देने के लिये एक-दूसरे से संबद्ध दृष्टिकोण और मूल्यों पर आधारित सहयोग पर केंद्रित रही। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, वे इस बात पर सहमत हुए कि मुक्त, खुला, समृद्ध और समावेशी भारत-प्रशांत क्षेत्र, क्षेत्र के देशों और कुल मिलाकर दुनिया के लिये दीर्घकालीन हितों को पूरा करता है। अधिकारियों ने क्षेत्र को प्रभावित करने वाले आतंकवाद और प्रसार जैसी साझा चुनौतियों के समाधान के अलावा संपर्क बढ़ने के लिये विचारों का आदान-प्रदान किया।

आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से पहले यह बैठक हुई है। इन सम्मेलनों में प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैलकॉम टर्नबुल पहले ही यहां पहुंच चुके हैं। भारतीय पक्ष ने देश की एक्ट ईस्ट पालिसी को रेखांकित किया जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में गतिविधियों का प्रमुख आधार है।

बैठक में विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (दक्षिण विभाग) विनय कुमार और संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) प्रणय वर्मा शामिल हुए। ट्रंप और आबे के साथ मोदी कल द्विपक्षीय बैठक करेंगे। बैठक में भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य पर चर्चा होने की संभावना है। भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान के साथ चतुष्कोणीय सुरक्षा वार्ता के गठन का विचार 10 साल पहले आया था लेकिन यह अबतक धरातल पर नहीं उतर पाया।

जापान के विदेश मंत्री तारो कोनो ने पिछले महीने कहा था कि तोक्यो जापान, अमेरिका, भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत बनाने को लेकर बातचीत का समर्थन करता है। दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दखल के बीच चारों देशों को मिलाकर एक समूह बनाने का कदम उठाया जा रहा है।

चीन दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर दावा करता है जबकि वियतनाम, फिलीपन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान इसका विरोध कर रहे हैं। अमेरिका विवादित दक्षिण और पूर्वी चीन सागर पर दावे को लेकर चीन पर अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाता रहा है।

अमेरिका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बड़ भूमिका का समर्थन करता रहा हैं जापान के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कहा था कि वह उन मुद्दों पर एक जैसे विचार वाले देशों के साथ काम करने को तैयार है जिससे उनके हित आगे बढ़ते हों।

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