केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों को लेकर भारत चिंतित है और इसके मद्देनजर वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ संपर्क बनाए हुए है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में वी मुरलीधरन ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान का एक निकटवर्ती पड़ोसी देश और लंबे समय से साझेदार होने के नाते भारत उस देश में हाल के घटनाक्रमों के बारे में चिंतित है।’’उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ संपर्क बनाए हुए है।’’
अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के रुख का उल्लेख करते हुए मुरलीधरन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में एससीओ-सीएसटीओ शिखर सम्मेलन और अफगानिस्तान पर जी-20 ‘‘असाधारण’’ शिखर सम्मेलन में भाग लिया जबिक विदेश मंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी द्वारा आयोजित अफगानिस्तान सम्मेलन और अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक में भाग लिया।
उन्होंने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र में महत्वपूर्ण भूमिका का समर्थन किया है तथा भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने संकल्प 2593 को पारित किया है। इस संकल्प में अन्य बातों के साथ-साथ यह मांग की गई है कि अफगान के भूभाग के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को पनाह व प्रशिक्षण देने, आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने और उसे वित्त पोषित करने के लिए नहीं किया जाए।
अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत की ओर से की गई पहल का उल्लेख करते हुए मुरलीधरन ने कहा कि भारत ने दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता का आयोजन किया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों व सचिवों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि इस वार्ता के परिणामस्वरूप ‘‘दिल्ली घोषणा’’ की गई, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के प्रमुख मुद्दों पर क्षेत्रीय सहमति को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि इसमें सभी पक्षकारों ने अफगान के लोगों को मानवीय सहायता देने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को स्वीकार किया, अफगानिस्तान में सही मायने में प्रतिनिधिक और समावेशी सरकार की आवश्यकता पर जोर दिया और यह दोहराया कि अफगान क्षेत्र आतंकवादी समूहों का ठिकाना नहीं बनना चाहिए। विदेश राज्यमंत्री ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारे विशेष संबंध और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 2593 अफगानिस्तान के प्रति भारत के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करना जारी रखेगा।’’
उन्होंने कहा कि इस प्रयास में भारत ने मानवीय सहायता के रूप में अफगानिस्तान के लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं और जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि काबुल में शासन तंत्र के भंग होने के बाद 16 से 25 अगस्त के बीच भारत सरकार ने अफगानिस्तान में फंसे हुए 565 भारतीय और अफगान नागरिकों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ के तहत भारतीय वायु सेना ओर एयर इंडिया की कई विशेष उड़ानें संचालित की।इसके अलावा अफगानिस्तान से देश वापसी को सुविधाजनक बनाने और अन्य लोगों के लिए विदेश मंत्रालय में एक चौबीसों घंटे सेवा वाले विशेष अफगानिस्तान सेल की स्थापना की गई थी।