भारत ने शुक्रवार को यहां पाकिस्तान उच्चायोग के प्रभारी राजनयिक को, करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन एक सिख संस्था से लेकर एक अन्य ट्रस्ट को सौंपने संबंधी पड़ोसी देश के ‘‘एकतरफा’’ फैसले को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए तलब किया और इस ‘मनमाने’ फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तानी मिशन के प्रभारी आफताब हसन खान को स्पष्ट रूप से बताया गया है कि पाकिस्तान द्वारा लिया गया यह निर्णय ‘‘अत्यंत निंदनीय’’ है और सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है।
पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर साहिब का प्रबंधन और रखरखाव का काम पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) से लेकर एक गैर-सिख निकाय ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (ईटीपीबी) को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया था। विदेश मंत्रालय ने इस फैसले पर बृहस्पतिवार को तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘पाकिस्तान उच्चायोग के प्रभारी राजनयिक को तलब किया गया और कड़ा विरोध दर्ज कराया गया। उन्हें बताया गया कि पाकिस्तान द्वारा लिया गया एकतरफा निर्णय काफी निंदनीय है और करतारपुर साहिब गलियारा पहल की भावना के खिलाफ है। उन्हें यह भी बताया गया कि यह फैसला सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ भी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सिख अल्पसंख्यक समुदाय को गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के मामलों का प्रबंधन करने से वंचित करने संबंधी मनमाने फैसले को वापस लिये जाने का पाकिस्तान से आह्वान किया जाता है।’’ दोनों देशों ने पिछले साल नवम्बर में पाकिस्तान में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब से भारत के गुरदासपुर में डेरा बाबा साहिब तक गलियारा खोल कर लोगों को जोड़ने का एक ऐतिहासिक कदम उठाया था।
गौरतलब है कि चार किलोमीटर लंबा करतारपुर गलियारा पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब को आपस में जोड़ता है। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर गलियारे को मार्च में बंद कर दिया गया था।