उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने यहां कहा कि ऐसे समय में जब विश्व आर्थिक मोंचे पर नरमी का सामना कर रहा है, भारत की आर्थिक कहानी भरोसा देती है। उन्होंने फ्रांस में मौजूद भारतीय समुदाय के लोगों से देश में निवेश एवं नवोन्मेष के अवसरों का लाभ उठाने को कहा।
नायडू यहां प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति के सौ साल के मौके पर आयोजित होने वाले समारोह में भाग लेने आये हुए हैं। वह यहां संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने भारतीय मूल के लोगों से अपनी जड़ों से सक्रियता के साथ जुड़ने तथा देश के विकास की प्रक्रिया में भाग लेने को कहा। उन्होंने कहा कि देश के बड़े सुधार एजेंडा से अकादमिक परिदृश्य बदल रहा है।
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नायडू ने कहा, ‘‘भारत की कहानी भरोसा देने वाली है। यह ऐसे समय में है जब क्षेत्र के अन्य देशों समेत शेष विश्व सुस्ती का अनुभव कर रहा है।’’ उन्होंने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का क्रियान्वयन असीम और दक्ष राष्ट्रीय बाजार की दिशा में बड़ा कदम था।
नायडू के हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘इसने कंपनियों को भारत में स्थापित होने और विकास करना आसान बना दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह आपके लिये अपनी जड़ों से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण समय है।’’
उन्होंने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उद्योग, कृषि, कला, संस्कृति, प्रशासन और राजनीति में भारतीय मूल के लोगों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय मूल के लोगों और भारतीय लोगों ने फ्रांस के सार्वजनिक मंचों पर बेहतरीन काम किया है। फ्रांस की संसद और यूरोपीय संसद में उनके कई सदस्य हैं।’’
भारतीय समुदाय के लोगों को फ्रांस और भारत के पुराने तथा द्विपक्षीय जुड़ाव की याद दिलाते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कई फ्रांसीसी दार्शनिकों के ऊपर रवींद्रनाथ टैगोर का बौद्धिक असर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के स्वतंत्रता पूर्व इतिहास के प्रमुख चेहरे रहे मैडम भीखाजी कामा और जेआरडी टाटा का भी फ्रांस से गहरा संबंध रहा है।’’ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के जरिये स्वच्छ ऊर्जा के प्रसार में भारत और फ्रांस के संयुक्त प्रयासों की भी चर्चा की।
नायडू ने कहा कि दोनों देशों की बढ़ती भागीदारी ने हमारी अर्थव्यवस्थाओं के लिए द्विपक्षीय प्रोत्साहन दिया है विशेषकर स्मार्ट शहरीकरण और परिवहन की दिशा में। उन्होंने कहा कि भारत शांति और अहिंसा की आवाज रहा है। उन्होंने कहा कि प्रगति की एकमात्र पूर्व शर्त शांति है।
उन्होंने यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे एजुले के साथ भी चर्चा की।