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अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसा कोई कदम ना उठाए, जिससे म्यांमा में और अस्थिरता पैदा हो: भारत

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और अगस्त के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष टी एस तिरुमूर्ति ने कहा है कि म्यांमा में किसी भी प्रकार की अस्थिरता भारत को सीधे प्रभावित करेगी।

भारत के पड़ोसी देश म्यांमा में पर्याप्त राजीनितक संकट का माहौल है। भारत ने हमेशा से ही अपने पड़ोसी राजधर्म का पालन किया है और इस कठिन समय में भी करेगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और अगस्त के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष टी एस तिरुमूर्ति ने कहा है कि म्यांमा में किसी भी प्रकार की अस्थिरता भारत को सीधे प्रभावित करेगी और नयी दिल्ली नहीं चाहती कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसा कोई कदम उठाए, जिससे दक्षिण पूर्वी एशियाई देश में और अस्थिरता पैदा हो।
म्यांमा में सेना ने इस साल एक फरवरी को तख्तापलट किया था, जिसके बाद नवंबर 2020 को हुए चुनाव के परिणाम को अमान्य घोषित कर दिया गया था और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित नेता आंग सान सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। तिरुमूर्ति ने सुरक्षा परिषद कार्यक्रम पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के संवाददाता सम्मेलन में सोमवार को कहा, ‘‘म्यांमा हमारे लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ोसी है… इसलिए म्यांमा में जो कुछ होता है, वह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है और म्यांमा में हालात से हमारे हित सीधे जुड़े हैं।’’
तिरुमूर्ति ने म्यांमा संबंधी एक सवाल के जवाब में कहा कि म्यांमा पर भारत का रुख हमेशा बिल्कुल स्पष्ट रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम म्यांमा के घटनाक्रम को लेकर गहराई से चिंतित हैं। हमने म्यांमा में हिंसा की निंदा की है। हमने अधिकतम संयम बरतने का आग्रह किया है।’’
तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत ने म्यांमा में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए कानून के शासन को बनाए रखने और हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई का भी आह्वान किया है। उन्होंने कहा, हमने किसी पूर्व शर्त के बिना और शांतिपूर्ण एवं तत्काल समाधान के लिए बातचीत का बार-बार आह्वान किया है। तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत ने आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन) के प्रयासों को समर्थन दिया है और वह उम्मीद करता है कि वह अपने प्रयासों एवं पांच सूत्री सहमति की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हमें एक रचनात्मक और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हम नहीं चाहते कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कोई ऐसा कदम उठाए, जो देश (म्यांमा) को और अस्थिर करे, क्योंकि उस देश में किसी भी प्रकार भी अस्थिरता भारत को सीधे प्रभावित करेगी।’’ म्यांमा से शरणार्थियों को भारत द्वारा स्वीकार नहीं करने के संबंध में एक संवाददाता के सवाल के जवाब में तिरुमूर्ति ने कहा कि यह ‘‘बिल्कुल झूठ’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह झूठ है कि हम (म्यांमा के) लोगों को स्वीकार नहीं कर रहे। भारत में म्यांमा के हजारों लोग हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत की अध्यक्षता के दौरान परिषद में म्यांमा की स्थिति पर चर्चा की जाएगी, भारतीय राजदूत ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सदस्य स्थिति पर निकटता से नजर रख रहे हैं और उन्होंने म्यांमा को लेकर विचार विमर्श, निजी बैठकें और घोषणाएं की हैं।
उन्होंने फलस्तीन के बारे में एक प्रश्न के जवाब में कहा कि भारत इजराइल के साथ-साथ शांति और सुरक्षा के माहौल में एक संप्रभु, व्यवहार्य और स्वतंत्र फलस्तीनी देश की स्थापना और फलस्तीनी मकसद का निरंतर एवं लंबे समय से समर्थन करता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का दृढ़ विश्वास है कि केवल द्विराष्ट्र समाधान ही सभी फलस्तीनियों और इजराइलियों को स्थायी शांति प्रदान करेगा।

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