पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को कहा कि इस्लाम शांति का धर्म है और उसका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने साथ ही, भारत के खिलाफ अपनी उग्र बयानबाजी को जारी रखते हुए कहा कि पश्चिमी जगत को इस बात को समझना होगा कि भारत की मौजूदा सत्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अनुयायी है, जिसकी विचारधारा ‘नफरत और वर्चस्ववाद’ पर आधारित है।
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इमरान ने अमेरिका के ह्यूस्टन में इस्लामिक सोसाइटी आफ नॉर्थ अमेरिका (आईएसएनए) के 56वें सम्मेलन को वीडियो लिंक से संबोधित करने के दौरान यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि इस्लाम शांति का मजहब है और शांति से रहना सिखाता है। किसी एक व्यक्ति की करतूतों को पूरे समुदाय से नहीं जोड़ा जा सकता।
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इमरान ने कहा, “आतंकवाद का किसी धर्म से संबंध नहीं हो सकता, तो फिर मुसलमानों पर क्यों हमेशा शक किया जाता है? यूरोप में मुसलमानों के धर्मस्थलों पर भी हमले हुए हैं।” उन्होंने कहा कि अमेरिका में 9/11 से पहले श्रीलंका में तमिल टाइगर्स ने आत्मघाती हमले किए थे। आतंकवाद किसी धर्म से जुड़ा नहीं होता। आतंकवाद इस्लाम से नहीं जुड़ा है। 9/11 के हमले के बाद ‘भारत ने स्वतंत्रता संघर्ष को आतंकवाद का नाम दे दिया।’
इमरान अपने भाषण में कश्मीर को लाना नहीं भूले। उन्होंने वहां पर ‘जुल्म’ के अपने आरोपों को दोहराया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, “मौजूदा भारतीय सत्ता नफरत और वर्चस्ववादी विचारधारा पर आधारित आरएसएस की नीतियों को मानती है। पश्चिमी जगत को समस्या को समझने के लिए आरएसएस की विचारधारा को समझना होगा।”