विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां भारतीय-यहूदी समुदाय तथा भारत विदों से कहा कि भारत और इजराइल के समाजों को भूराजनीतिक परिदृश्य पर उभरते कई घटनाक्रमों के साथ ही कट्टरपंथ और आतंकवाद जैसी एक समान चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विदेश मंत्री के तौर पर इजराइल की अपनी पहली यात्रा पर यहां पहुंचे जयशंकर ने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने संबंधों में भारतीय यहूदी समुदाय के उल्लेखनीय योगदान की सराहना की।
विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को पांच दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे। उन्होंने विश्वास जताया कि इजराइल में भारतीय यहूदी समुदाय आने वाले वर्षों में दोनों देशों को और करीब लाएगा। जयशंकर ने कहा कि बीते चार वर्षों में यह इजराइल का उनका तीसरा दौरा है लेकिन हर बार यहां से लौटते वक्त उन्हें अहसास होता है कि यात्रा अधूरी रही है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की तरह ही इस जगह को भी समझने और खोजने के लिए पूरा जीवन लग जाएगा। इसलिए यहां, एक ऐसी भूमि पर वापस आकर मुझे खुशी मिलती है जिसके साथ हमारे सदियों पुराने संबंध हैं, और ऐसे लोगों के बीच आकर भी, जो इन संबंधों को पोषण देने वाली गर्भनाल की तरह हैं।’’
Very pleased to meet the Indian Jewish community in Israel.
Valued their manifold contribution to India-Israel ties.
Confident that they will bring us even closer together in the coming years. pic.twitter.com/au0gFEGjsT
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 17, 2021
जयशंकर ने कहा कि इजराइल के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध बीते कुछ वर्षों में गुणात्मक रूप से अलग राह पर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे दोनों देश लोकतंत्र और बहुलवाद के मूल्यों को साझा करते हैं। हम अपने कुछ मार्गदर्शक सभ्यतागत दर्शन भी साझा करते हैं: भारत में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ जिसका अर्थ है कि पूरा विश्व एक परिवार है और इजराइल में ‘तिकुन ओलाम’ जिसका मतलब होता है दुनिया को उबारना (स्वस्थ) करना।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही देशों के समाजों के समक्ष कट्टरपंथ और आतंकवाद की एक सी चुनौतियां हैं। इनके अलावा हम भूराजनीतिक परिदृश्य पर कई उभरते घटनाक्रमों का भी सामना कर रहे हैं।’’ भारत को सीमा पार, पाकिस्तान से उभरने वाले प्रमुख खतरों का सामना करना पड़ रहा है वहीं इजराइल भी शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों से घिरा हुआ है। भारत और इजराइल के बीच ‘आतंकवाद निरोधी संयुक्त कार्य समूह’ है और दोनों देश इस खतरे से निबटने के लिए वास्तविक समय (रियल टाइम) में गोपनीय सूचनाएं भी साझा करते हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि ‘‘वास्तविक जोर तो ज्ञान आधारित हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच नवोन्मेष और कारोबारी साझेदारी का विस्तार करने पर है।’’ उन्होंने कहा कि मिसाल के तौर पर दोनों देशों ने कोविड-19 महामारी से निबटने के लिए सहयोग किया। उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम इसे अगले स्तर तक ले जा सकते हैं? वैज्ञानिकों, छात्रों और स्टार्ट-अप के बीच हम किस तरह से संपर्क और सहयोग को और बढ़ा सकते हैं? इस दौरे में अपनी बैठकों के दौरान मैं इन मुद्दों समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा करूंगा।’’
जयशंकर ने कहा कि चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल के ऐतिहासिक दौरे पर उनके साथ आने का उन्हें गौरव प्राप्त हुआ था। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि इजराइल में यहूदी समुदाय के साथ भारत के संबंध ‘परस्पर विश्वास और मित्रता’ के हैं। उन्होंने कहा कि भारत में यहूदी समुदाय विशेष हैं क्योंकि ‘‘अन्य समुदायों की तरह यह समुदाय सैकड़ों वर्षों से मिलजुल कर शांतिपूर्वक रह रहा है, इसके साथ ही उसने अन्य यहूदी समुदाय से अलगाव के बावजूद अपनी यहूदी पहचान को कायम रखा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहां नया जीवन शुरू करने के आपके विचार के पीछे जो कारण है वह मुख्य रूप से सभ्यता से जुड़ा है। यहूदी इतिहास में यह दुर्लभ है कि आपने भारत की तरह ही कहीं पर इतना लंबा समय बिताया हो जिसमें आप स्वतंत्रता, समानता के साथ फले-फूले हों।’’ भारत और इजराइल की सभ्यताओं के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक समेत प्राचीन संबंधों के मद्देनजर जयशंकर ने भारत के राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भारतीय यहूदी लोगों के योगदान की सराहना की और उन्हें ‘हममें से एक’ बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘आपने भारत के राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया। हम मुंबई, पुणे जाते हैं तब हमें यह अहसास नहीं होता कि वहां के कई ऐतिहासिक स्थल मसलन मुंबई के ससून डॉक्स और पुणे का ससून अस्पताल आपकी देन हैं। बल्कि डेविड ससून तो बैंक ऑफ इंडिया के संस्थापकों में से एक हैं।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आपमें से कुछ लोग महात्मा गांधी के साथ थे। 1961 में, हमारे एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता बाल गंगाधर तिलक का बचाव करने वाले वकीलों के दल में से एक यहूदी डेविड एरूलकर थे।’’
उन्होंने कहा कि कुछ ने शिक्षाविदों के रूप में तो कुछ ने चिकित्सकों की तरह योगदान दिया। डॉ. जेरूशा झिराद को तो भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। ‘‘सैन्य सेवाओं में जिन तीन यहूदियों का योगदान नहीं भुलाया जा सकता वे हैं वाइस एडमिरल जे आर सैमसन, मेजर जनरल बी ए सैमसन और लेफ्टिनेंट जनरल जे एफआर जैकब।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘इसमें हैरानी की कोई बात नहीं कि आपमें से कई यह कहते हैं कि इजराइल हमारी पितृभूमि और भारत हमारी मातृभूमि है।’’ उन्होंने कहा कि अगले वर्ष भारत और इजराइल के बीच संपूर्ण राजनयिक संबंधों की स्थापना के 30 वर्ष पूरे हो जाएंगे।