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जयशंकर ने कहा- भारत की कोशिश रूस, यूक्रेन को बातचीत और कूटनीति पर वापस लाने की रही

यूक्रेन में जारी संघर्ष पर ”गहरी” चिंता जताते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत शांति के पक्ष में है और युद्ध की शुरुआत से ही नयी दिल्ली की कोशिश यही रही है कि मॉस्को तथा कीव कूटनीति एवं संवाद के माध्यमों की ओर लौटें क्योंकि मतभेदों को हिंसा से नहीं सुलझाया जा सकता।

देश के विदेश मंत्री जयशंकर ने यूक्रेन में जारी संघर्ष को लेकर व्यक्त करते हुए कहा कि भारत शुरू से ही शांति के पक्ष पर तत्पर मौजूद है।  युद्ध की शुरुआत से ही भारत सरकार की कोशिश यही रही है। मॉस्को तथा कीव कूटनीति एवं संवाद के माध्यमों की ओर लौटें क्योंकि मतभेदों को हिंसा से नहीं सुलझाया जा सकता।
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दो देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में साइप्रस से यहां पहुंचे जयशंकर ने रविवार शाम ऑस्ट्रिया में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। जयशंकर ने कहा, यह (यूक्रेन) संघर्ष वास्तव में अत्यंत गहरी चिंता का विषय है … प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में घोषणा की (कि) हम वास्तव में मानते हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है। आप हिंसा के माध्यम से मतभेदों और मुद्दों को नहीं सुलझा सकते। उन्होंने कहा, इस तरह शुरू से ही, हमारा प्रयास (रूस और यूक्रेन से) संवाद और कूटनीति पर लौटने का आग्रह करना रहा है … प्रधानमंत्री ने खुद राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन और राष्ट्रपति (वोलोदिमिर) ज़ेलेंस्की के साथ कई मौकों पर बात की है। मैंने रूस और यूक्रेन के अपने सहयोगियों से खुद भी बात की है।”
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भारत ने रूस और यूक्रेन से कूटनीति एवं बातचीत के रास्ते पर लौटने तथा जारी संघर्ष को समाप्त करने का बार-बार आह्वान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई मौकों पर रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से बात की है तथा शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और संघर्ष के समाधान के लिए कूटनीति एवं बातचीत के रास्ते पर लौटने का आग्रह किया है। पिछले साल 16 सितंबर को मोदी ने उज्बेकिस्तान में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक में उन्हें संघर्ष समाप्त करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है।
भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी हमले की आलोचना नहीं की है और यह कहता रहा है कि संकट को बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। जयशंकर ने प्रवासी भारतीयों को यह भी बताया कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने कहा, इसमें से अधिकांश चीन के साथ हमारी उत्तरी सीमा पर हमारे सामने उत्पन्न तीव्र चुनौतियों के आसपास केंद्रित है। हमें पाकिस्तान की ओर से लगातार सीमा पार आतंकवाद की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। भारतीय सेना के अनुसार, नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी जिसमें दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झाड़प के बाद से भारत और चीन की सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प थी।
दोनों देशों के बीच सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए 17 दौर की बातचीत हो चुकी है।
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जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि भारत ने बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों में काफी सुधार किया है। उन्होंने कहा, हमने उनके (बांग्लादेश) साथ अपना भूमि सीमा समझौता किया है। यह इस बात का उदाहरण है कि कैसे सफल कूटनीति ने (दो पड़ोसियों के बीच) मजबूत रिश्ते में सीधे योगदान दिया है। अपने भाषण में, जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत और ऑस्ट्रिया सोमवार को कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे और उनमें से कुछ भारतीय समुदाय के हित में हैं। इससे पहले दिन में, जयशंकर ने 2023 में अपनी पहली राजनयिक चर्चा में शीर्ष ऑस्ट्रियाई नेतृत्व के साथ बातचीत की और चांसलर कार्ल नेहमर को प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत बधाई दी। यह पिछले 27 वर्षों में भारत से ऑस्ट्रिया की पहली विदेश मंत्री स्तर की यात्रा है, और यह 2023 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष होने की पृष्ठभूमि में हो रही है।

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