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नेपाल के PM के. पी. शर्मा ओली को अपनी ही पार्टी की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव का करना होगा सामना

नेपाल की सत्तारूढ़ ‘नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी’ में आंतरिक कलेश इतना बढ़ गया है कि अब प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के प्रतिद्वंद्वी गुट के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने शुक्रवार को उन्हें चेतावनी दे डाली।

नेपाल की सत्तारूढ़ ‘नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी’ में आंतरिक कलह इतनी बढ़ गई है कि अब प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के प्रतिद्वंद्वी गुट के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड ने शुक्रवार को उन्हें चेतावनी दे डाली। प्रचंड ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि ओली रविवार तक अपना पद छोड़ दें, नहीं तो संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार रहें।
प्रधानमंत्री ओली द्वारा 20 दिसंबर को सदन भंग करने और चुनाव कराए जाने की घोषणा के बाद, नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी राजनीतिक रूप से दो गुटों में विभाजित हो गई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 24 फरवरी को ओली के फैसले को पलट दिया और सरकार को उसके फैसले के 13 दिनों के भीतर सदन को बुलाने का निर्देश दिया। ओली और प्रचंड की अगुवाई वाले दो धड़े नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के लिए दावा ठोक रहे हैं और दोनों का कहना है कि उनके पास केंद्रीय समिति के साथ-साथ संसदीय दल में भी अधिकांश सदस्य हैं। 
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो गुटों के बीच अनबन तब और भी बढ़ गई, जब दोनों पक्षों के शीर्ष नेताओं को एक-दूसरे के गुटों से निकाल दिया गया। बाद में 24 जनवरी को प्रचंड गुट ने पार्टी के एक सामान्य सदस्य के रूप में ओली को बाहर कर दिया। प्रचंड गुट ने गुरुवार को संसद सचिवालय को पत्र लिखकर ओली को संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता नहीं देने का आग्रह किया। 
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, सरकार ने रविवार के लिए सदन का सत्र बुलाया है। प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट की एक संसदीय दल की बैठक में शुक्रवार को ओली के इस्तीफे की मांग करने या अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का फैसला किया गया। प्रचंड ने बैठक के बाद इसकी जानकारी दी। प्रचंड ने कहा, अगर ओली ने पद से इस्तीफा नहीं दिया, तो आने वाले दिन उनके लिए मुश्किल होंगे। उन्होंने कहा कि जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने सदन को बहाल करने का फैसला किया, हमने उनके इस्तीफे की मांग की, लेकिन उन्होंने पद छोड़ने से इनकार कर दिया। आज, अधिकांश सांसदों ने संसदीय दल के नेता के रूप में मुझे चुना है।
उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि ओली पार्टी में अल्पमत में हैं। यदि वह इस्तीफा नहीं देते हैं, तो हम उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे। हम ओली के व्यवहार के कारण अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हैं। लेकिन प्रचंड खेमे के पास अविश्वास प्रस्ताव के जरिए ओली को बाहर निकालने के लिए जरूरी संख्या 173 नहीं है। गुट को नेपाली कांग्रेस जैसे अन्य दलों के समर्थन की जरूरत है, जो सदन में प्राथमिक विपक्ष है। 
नेपाली कांग्रेस को ओली और प्रचंड दोनों गुटों से प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्ताव मिला है, लेकिन पार्टी ने अभी तक तय नहीं किया है कि वह किसका समर्थन करेगी। प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को पहले ही प्रधानमंत्री पद की पेशकश कर दी है। लेकिन देउबा इस बात पर जोर देते रहे हैं कि उनकी पार्टी किसी भी गुट का समर्थन नहीं करेगी, जब तक कि सत्ताधारी पार्टी तकनीकी रूप से विभाजित नहीं होती है और दो अलग-अलग संगठनों में विभाजित नहीं हो जाती है।

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