भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन दिनों तुर्कमेनिस्तान के दौरे पर है। भारत और तुर्कमेनिस्तान ने आपदा प्रबंधन और वित्तीय आसूचना सहित सहयोग के लिए चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने तुर्कमेनिस्तान के अपने समकक्ष सेर्डर बर्दीमुहामेदोव से मुलाकात की और शनिवार को यहां द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की।
बता दें कि तीन दिवसीय यात्रा पर आये राष्ट्रपति कोविद को शुक्रवार को यहां औपचारिक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। अपनी यात्रा के दौरान वह संसाधन संपन्न मध्य एशियाई देश के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करेंगे।
भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की रूपरेखा सहित अहम द्विपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की
भारत के राष्ट्रपति की स्वतंत्र तुर्कमेनिस्तान की यह पहली यात्रा है जो तुर्कमेनिस्तान के नए राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव के पद संभालने के कुछ दिनों बाद हुई है। राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कहा गया है, ‘‘राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति सेर्डर बर्दीमुहामेदोव के बीच बैठक के बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। नेताओं ने भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की रूपरेखा सहित अहम द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की।’’
तुर्कमेनिस्तान के पास प्राकृतिक गैस का बहुत बड़ा भंडार है
उसने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘राष्ट्रपति कोविंद और राष्ट्रपति बर्दीमुहामेदोव की उपस्थिति में भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच आपदा प्रबंधन, वित्तीय आसूचना, संस्कृति और युवा मामलों में सहयोग के लिए चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।’’ इससे पहले, विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत तुर्कमेनिस्तान के साथ अपने संबंधों को महत्व देता है। बुधवार को विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा था, ‘‘राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा न सिर्फ तुर्कमेनिस्तान के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध के महत्व की पुन:पुष्टि करेगी, बल्कि हमारे विस्तारित पड़ोस की अवधारणा और भारत-मध्य एशिया साझेदारी के संदर्भ को भी प्रदर्शित करेगी।’’
तुर्कमेनिस्तान के पास प्राकृतिक गैस का बहुत बड़ा भंडार है। वर्मा ने कहा, ‘‘तुर्कमेनिस्तान रणनीतिक रूप से मध्य एशिया में स्थित है और ‘कनेक्टिविटी’ एक ऐसी चीज है जिस पर हमें लगता है कि तुर्कमेनिस्तान के साथ साझेदारी के फायदे मिलेंगे। हमने तुर्कमेनिस्तान सहित मध्य एशियाई देशों को एक अरब डॉलर के ऋण की पेशकश की है।’’