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पाकिस्तान सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लाखों पश्तून, लगे आजादी के नारे

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नई दिल्ली:  पाकिस्तान में करीब एक लाख से ज्यादा पश्तूनों ने रविवार को अपने ही देश के सरकार के खिलाफ विशाल रैली निकाली। रैली निकालने वाले आंदोलनकारी पश्तून खैबर पख्तूनवा और फाटा में युद्ध अपराध के मामलों में अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से हस्तक्षेप की मांग कर रहे थे। रैली के दौरान पश्तून समुदाय के लोग पिशताखरा चौक पर जमा हुए और आजादी के नारे लगाये। पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक इस रैली में युद्ध के दौरान लापता लोगों के परिवारों ने भी हिस्सा लिया जिनके हाथ में लोगों की तस्वीरें भी थीं।

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा, हम सिर्फ दमन करने वालों के खिलाफ हैं, लापता लोगों के लिए अब तक क्या किया गया। जिन्होंने अपनो को खोया है उन बुजुर्गों को मजबूर नहीं किया जा सकता। प्रदर्शन कर रहे पश्तूनों की सरकार से मांग है कि संघ प्रशासित कबायली इलाके में कर्फ्यू खत्म किया जाना चाहिए साथ ही स्कूल कॉलेज और अस्पताल भी खुलने चाहिए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इलाके में कर्फ्यू हटने के बाद ही पश्तूनों का जीवन सामान्य हो सकता है।

इस रैली को पीटीएम के नेता मंजूर पश्तीन संबोधित करते हुए कहा है कि हम सिर्फ गलत काम करने वालों के खिलाफ है, हम देश के एजेंट है। उन्होंने आगे कहा है कि लापता लोगों क्या हुआ उसका कुछ नहीं पता है। मां और बुजुर्गों जिनके अपने खोए हैं उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इस रैली में लापता लोगों के परिवार वाले भी शामिल है और सोशल मीडिया पर भारी संख्या में लोग पाकिस्तान की सड़कों पर उतरे और स्थानीय लोगों को सरकार के काले कार्य के बारे में भी बताया।

वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान मीडिया पर बड़ा आरोप लगा है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है और वहां की मीडिया ने इस प्रदर्शन को नजरअंदाज कर दिया था। पश्तूनों ने सरकार से मांग की है कि संघ प्रशासित कबायली इलाके में कर्फ्यू हटा देना चाहिए है। वहां पर स्कूल, कॉलेज और अस्पाताल खुलने चाहिए क्योंकि उस इलाके के लोगों का जीवन अस्त वयस्त हो चुका है। वहीं प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि पाकिस्तान उनके समुदाय के मानवअधिकारों का उल्लंघन कर रहा है और उन्हें आजादी चाहिए।

कौन हैं मंजूर पश्तीन

पश्तून आंदोलन के नेता 26 वर्षीय मंजूर पश्तीन हैं, जो जनजातीय इलाके के वेटनरी छात्र हैं। उनके उदय को एक नए सीमांत गांधी के रूप में देखा जा रहा है। उनका कहना है कि ‘हम हिंसा में यकीन नहीं करते हैं, न तो हम आक्रामक भाषा का इस्तेमाल करते हैं और न ही हिंसा का हमारा इरादा है। अब यह सरकार पर है कि वह हमें अपने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के हक का इस्तेमाल करने देती है या हमारे खिलाफ हिंसक तरीका अपनाती है.।

पश्तीन दक्षिण वजीरिस्तान से ताल्लुक रखते हैं, जो पश्तून बहुल संघ प्रशासित जनजातीय इलाके (फाटा) का हिस्सा है। पीटीएम कुछ दिन पहले तब सुर्खियों में आया था, जब जनजातीय इलाके के हजारों लोगों का नेतृत्व करते हुए कराची में एक युवा पश्तून की सिंध पुलिस द्वारा हत्या का विरोध करते हुए वे इस्लामाबाद पहुंचे थे।

तब से जनजातीय इलाकों-खैबर पख्तूनख्वा, पड़ोस के बलूचिस्तान प्रांत में रैलियां हो रही हैं, जिनमें दसियों हजार लोग पहुंच रहे हैं। पश्तीन कहते हैं कि सरकार गंभीर नहीं है। उन्होंने अधिकारियों को सूचित किया कि सेना और खुफिया एजेंसी के कुछ लोग उनके लोगों को आतंकित कर रहे हैं।कार्रवाई शुरू करने के बजाय सरकार और उसकी एजेंसियां हमारे खिलाफ मामला दर्ज कर रही है।’

 

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