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‘जिहाद यूनिवर्सिटी’: पाकिस्तान का वो मदरसा जिसके पास है अफगानिस्तान में काबिज तालिबान की डोर

दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा पाकिस्तान के सबसे बड़े और पुराने मदरसे में से एक है और दशकों से पूरे क्षेत्र में हिंसा फैलाने में मदद करने के लिए इसके आलोचक इसे ‘जिहाद विश्वविद्यालय’ कहते हैं।

दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा पाकिस्तान के सबसे बड़े और पुराने मदरसे में से एक है और दशकों से पूरे क्षेत्र में हिंसा फैलाने में मदद करने के लिए इसके आलोचक इसे ‘जिहाद विश्वविद्यालय’ कहते हैं। 
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इस मदरसे से निकले है तालिबान सरकार के कई मंत्री 
मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के किसी भी स्कूल से अधिक इस मदरसे में कई तालिबानी नेता पढ़ाई कर चुके हैं। मदरसे के पूर्व छात्र अब अफगानिस्तान में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं। पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित मदरसे का अफगानिस्तान में व्यापक प्रभाव पड़ा है। मदरसा के पूर्व छात्रों ने तालिबान आंदोलन की स्थापना की और 1990 के दशक में अफगानिस्तान पर शासन किया। 
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क्या है मदरसे के कुलपति का कहना 
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ (एनवाईटी) में शुक्रवार को छपी रिपोर्ट के अनुसार, मदरसे ने तर्क दिया है कि तालिबान को यह दिखाने का मौका दिया जाना चाहिए कि वे अपने खूनी तरीकों से आगे बढ़ गए हैं क्योंकि उन्होंने पहली बार दो दशक पहले अफगानिस्तान पर शासन किया था। मदरसा के कुलपति रशीदुल हक सामी ने एनवाईटी से कहा, ‘‘दुनिया ने कूटनीतिक मोर्चे और युद्ध के मैदान दोनों पर अपनी जीत के माध्यम से देश को चलाने की उनकी क्षमताओं को देखा है।’’ 
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तालिबान के जनक से मदरसे का रिश्ता 
रिपोर्ट के मुताबिक सामी के पिता और सेमिनरी के दिवंगत चांसलर समीउल हक, जिनकी 2018 में इस्लामाबाद में उनके आवास पर हत्या कर दी गई थी, को ‘‘तालिबान के जनक’’ के रूप में जाना जाता है। ‘मदरसा मिराज: ए कंटेम्परेरी हिस्ट्री ऑफ इस्लामिक स्कूल्स इन पाकिस्तान’ के लेखक अजमत अब्बास ने कहा, ‘‘तालिबान नेताओं की मातृ संस्था होने के नाते, हक्कानिया को निश्चित रूप से उनका सम्मान मिलता है।’’ 
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सिराजुद्दीन हक्कानी भी इसी मदरसे का था छात्र 
खबर में कहा गया है कि सिराजुद्दीन हक्कानी (41) इसके पूर्व छात्र हैं और उन्होंने तालिबान के सैन्य प्रयासों का नेतृत्व किया। अमेरिकी सरकार ने उनके सिर पर 50 लाख अमेरीकी डॉलर का इनाम रखा था और अब वह अफगानिस्तान के नए कार्यवाहक आंतरिक मंत्री हैं वहीं नए विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी और उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी भी इसके पूर्व छात्र हैं। स्कूल प्रशासकों का कहना है कि न्याय मंत्री, अफगान जल और बिजली मंत्रालय के प्रमुख और कई गवर्नर, सैन्य कमांडर और न्यायाधीश भी हक्कानिया मदरसा से पढ़ाई कर चुके हैं। 
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मदरसे के लिए गर्व का प्रतीक है हक्कानी नेटवर्क
उन्होंने कहा, ‘‘हमें गर्व महसूस होता है कि अफगानिस्तान में हमारे छात्रों ने पहले सोवियत संघ को तोड़ा और अब अमेरिका को भी बोरिया बिस्तर बांधकर भेज दिया। मदरसे के लिए यह सम्मान की बात है कि इसके स्नातक अब मंत्री हैं और तालिबान सरकार में उच्च पदों पर आसीन हैं। कई पूर्व छात्र हक्कानी नाम को गर्व के प्रतीक के रूप में अपनाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हक्कानी नेटवर्क का नाम मदरसे के नाम पर रखा गया है। यह तालिबान की सैन्य शाखा है, जो अमेरिकियों को बंधक बनाने, आत्मघाती हमलों और लक्षित हत्याओं के लिए जिम्मेदार है। अफगानिस्तान में तालिबान की जीत मदरसा के छात्रों के लिए बड़े गर्व की बात है। 
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आलोचक इसे कहते हैं ‘जिहाद विश्वविद्यालय’
स्कूल के आलोचक इसे ‘जिहाद विश्वविद्यालय’ कहते हैं और दशकों से पूरे क्षेत्र में हिंसा को पनपने में मदद करने के लिए इसे दोषी मानते हैं। उन्हें चिंता है कि चरमपंथी मदरसों और उनसे जुड़ी इस्लामी पार्टियों को तालिबान की जीत से प्रोत्साहन मिल सकता है और पाकिस्तान में 30,000 से अधिक मदरसों को सरकारी नियंत्रण में लाने के प्रयासों के बावजूद कट्टरवाद को बढ़ावा मिल सकता है। 

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