कांचीपुरम (तमिलनाडु) : अगले सप्ताह कांचीपुरम के समीप हो रही भारत-चीन बैठक के मद्देनजर बहुत उम्मीदें हैं, ऐसे में चीन के साथ ममलापुरम के प्राचीन संबंध से इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बल मिलने की संभावना है।
शक्तिशाली पल्लव शासकों का ममलापुरम लंबे समय तक फूलता-फलता बंदरगाह रहा था। पल्लव वंश का चीन के साथ संबंध रहा था। उन्होंने अपने शासनकाल में वहां दूत भेजे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बैठक की तैयारी जोरशोर से चल रही हैं। ऐसे में जब हम पुरातात्विक साक्ष्यों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि बैठक स्थल ममलापुरम का करीब 2000 साल पहले चीन के साथ संबंध था।
मशहूर पुरातत्वविद एस राजावेलू ने पीटीआई भाषा से कहा कि तमिलनाडु के पूर्वी तट पर बरामद हुए पहली और दूसरी सदी के सेलाडॉन (मिट्टी के बर्तन) हमें चीनी समुद्री गतिविधियों के बारे में बताते हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे साक्ष्य और अन्य पुरातात्विक सबूतों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वर्तमान ममलापुरम और कांचीपुरम जिले के तटीय क्षेत्रों समेत इन क्षेत्रों का चीन के साथ संबंध था।
उन्होंने कहा कि उस काल के चीनी सिक्के भी तमिलनाडु में मिले हैं। उनसे पता चलता है कि इन क्षेत्रों का चीन के साथ प्राचीन व्यापारिक संबंध था।