पूर्व राजनयिकों और विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सप्ताह भर लंबा अमेरिका दौरा काफी सफल रहा। इस दौरान उन्होंने बड़े मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित किया और बड़े ही बारीकी के साथ भारत को वैश्विक नेतृत्व के रूप में पेश किया।
प्रधानमंत्री ने जहां अमेरिका को विनम्रता के साथ कश्मीर पर भारत की स्थिति से अवगत कराया और वहीं व्यापार मुद्दों पर भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भरोसा दिलाया। विश्लेषकों ने यूएनजीए और ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री के भाषण को शानदार बताया।
पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा कि ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम बेहद सफल रहा और वहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी भारतीय समुदाय के बढ़ते राजनीतिक और आर्थिक कद प्रमाण था।
ओआरएफ के डाइरेक्टर ऑफ स्टडीज, हर्ष वी. पंत ने आईएएनएस को बताया कि दौरा भारत के लिए काफी अच्छा रहा और इन सबके बीच वह ट्रंप और अमेरिका को यह समझाने में सफल रहे कि ‘कश्मीर पर भारत की स्थिति क्या है।’
ह्यूस्टन समारोह के जरिए मोदी ने अपनी बात रखते हुए कहा था कि भारत की कश्मीर नीति ‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया का भाग है और एक संवैधानिक ढांचे के बारे में है जिसे विशेष संदर्भ में लागू किया गया है।’
पंत ने कहा कि ‘उम्मीद है कि यह अमेरिकी प्रतिष्ठान में भारत के पक्ष को मजबूत करने में मदद करेगा, क्योंकि कश्मीर पर भारत की स्थिति को लेकर काफी गलत सूचनाएं हैं और इस संबंध में पाकिस्तान के झूठे दावे भी लोगों का ध्यान आकृष्ट करते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि भारत के पक्ष को अच्छी तरह समझा गया है।’
पूर्व राजनयिक शीलकांत शर्मा ने कहा, ‘मोदी का प्रधानमंत्री और एक नेता के रूप में प्रदर्शन शानदार था। उनके भाषण को बड़े ही अच्छ तरीके से सावधानीपूर्वक लिखा गया था। हिंदी में भाषण बहुत ही शानदार था और मैं निश्चिंत हूं कि अनुवाद ने भी समान असर छोड़ा होगा।’
पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने कहा कि प्रधानमंत्री का दौरा काफी शानदार रहा। दौरा व्यापार, निवेश और ऊर्जा क्षेत्र के लिए शानदार रहा।
पंत के अनुसार, मोदी ने बड़े मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित किया और बड़े ही बारीकी के साथ भारत को वैश्विक नेतृत्व के लिए पेश किया।
उन्होंने कहा, ‘मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट के लिए भारत के पक्ष को हालांकि प्रत्यक्ष रूप से नहीं रखा लेकिन कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र खुद में सुधार नहीं करेगा तो वह खुद ही अपनी महत्ता खो देगा।
वास्तव में उन्होंने इशारा करते हुए कहा कि आपको भारत को इसके शामिल करना होगा और भारत के योगदान को देखते हुए आप इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। बिना ज्यादा कुछ कहे उन्होंने भारत के वैश्विक साख के बारे में बहुत कुछ कह दिया।’