म्यांमार सेना ने राखिने राज्य के गांव के स्कूल में हिरासत में लिये गये छह लोगों को गोली मार दी है और और इस दौरान सुरक्षा बलों की गोलीबारी मे आठ अन्य लोग भी घायल हुए हैं। बीबीसी न्यूज के मुताबिक सेना के प्रवक्ता ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि जवानों को इसलिए गोलियां चलानी पड़ क्योंकि हिरासत में लिये गये लोग जवानों के हथियार छीनने की कोशिश कर रहे थे। हिरासत में लिये गये लोगों से उनके अराकान सेना के विद्रोहियों से संबंध होने के बारे में पूछताछ की जा रही थी।
विद्रोही प्राचीन राखिने बोद्ध हैं। सेना और विद्रोहियों के बीच ताजे संघर्ष के बाद 30 हजार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके है जिनमें अधिकांश बौद्ध नागरिक हैं। म्यांमार में कई विद्रोही समूह सक्रिय हैं। हाल के वर्षों में म्यांमार से मुस्लिम रोहिंज्ञा आबादी का बंगलादेश में पलायन ने सभी का ध्यान आकृष्ट किया है। इसके अलावा कई अन्य नस्ली अल्पसंख्यकों से सेना के साथ प्राय: झड़प होती रहती है। पत्रकारों तथा अधिकांश सहायता एजेंसियों का उत्तरी राखिने में प्रवेश तक प्रतिबंधित है।
तथा गुरुवार की सुबह घटनास्थल पर वास्तव में क्या हुआ इसका पता लगाना काफी मुश्किल काम है। सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल जाउ मिन तुन ने कहा कि राथेदाउंग बस्ती के क्याउक तान गांव के स्कूल में जांच के लिए 275 लोगों को हिरासत में रखा गया था। गुरुवार की सुबह जब हिरासत में लिये गये लोगों ने जवानों के हथियार लूटने की कोशिश की तो कोई और विकल्प नहीं रहने के कारण गोलीबारी करनी पड़।
प्रवक्ता ने कहा कि गोली चलाने से पूर्व चेतावनी गोली भी चलाई गई थी। लेकिन गोलीबारी में छह लोग मारे गये तथा आठ अन्य घायल हो गये। इस दौरान हिरासत में से चार लोग फरार हो गये। मयांमार के पश्चिम इलाके में स्थित आर्थिक रूप से गरीब राखिने राज्य में वर्षों से झड़पें तथा विवाद जारी है। वर्ष 2016 से राखिने से कई लाख रोहिंज्ञा मुसलमानों का बंगलादेश तथा अन्य देशों में पलायन हो चुका है। संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों का मानना है कि म्यांमार सेना ने रोहिंज्ञा मामले में युद्ध अपराध किया है जिससे देश की सरकार साफ इंकार करती है।