संयुक्त राष्ट्र : म्यामां सरकार ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि रोहिंग्या शरणार्थी संकटों का जमीनी स्तर पर जायजा लेने के लिए फरवरी ‘‘सही समय नहीं है’’। परिषद के अध्यक्ष ने यह जानकारी दी है। कुवैत के राजदूत मंसूर अल-ओताइबी ने कहा कि म्यामां मार्च-अप्रैल में होने वाले दौरे का विरोध नहीं कर रहा है। फरवरी में परिषद की अध्यक्षता करने वाले ओताइबी ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों से कहा, ‘‘उन्हें केवल यह लगता है कि यह समय दौरे के लिए सही नहीं है।’’ परिषद ने रखाइन प्रांत में सैन्य कार्रवाई के कारण विस्थापित हुए लाखों मुस्लिम रोहिंग्या लोगों को वापस लौटने की अनुमति देने की मांग की।
राजदूत ने कहा कि म्यामां अधिकारी देश में स्थित राजनयिकों के दौरे का आयोजन करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि ‘‘इस समय रखाइन प्रांत में तनाव अधिक है।’’अगस्त में शुरू हुई हिंसा के बाद से करीब 7,00,000 रोहिंग्या लोगों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में बने शिविरों में पनाह ली है। संयुक्त राष्ट्र ने इस कार्रवाई को जातीय सफाई करार दिया था।
पिछले माह, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से म्यामां में विशेष दूत तैनात करने की अपील करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था लेकिन अभी तक तैनाती नहीं की गई है। चीन (म्यामां के पूर्व सत्ताधारी जुंटा का समर्थक) और रूस ने इस प्रस्ताव के विरोध में वोट दिया था।
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