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जलवायु परिवर्तन पर नैंसी पेलोसी ने की PM मोदी की सराहना, कहा- गांधी के मूल्यों को बरकरार रखा

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने पृथ्वी के अस्तित्व को खतरा पैदा करने वाली चुनौतियों से निपटने का जिम्मा लेकर महात्मा गांधी के मूल्यों को बरकरार रखा है।

जलवायु परिवर्तन से निपटने की नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने पृथ्वी के अस्तित्व को खतरा पैदा करने वाली चुनौतियों से निपटने का जिम्मा लेकर महात्मा गांधी के मूल्यों को बरकरार रखा है। जलवायु परिवर्तन पर समझौते को सुनिश्चित करने में मोदी द्वारा दिखाई गई “प्रतिबद्धता” का उल्लेख करते हुए पेलोसी ने कहा, “यह आसान नहीं था, लेकिन यह किया गया।”
उन्होंने कहा कि जब मोदी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए वाशिंगटन डीसी आए थे, तब भाषण से पहले कांग्रेस नेतृत्व ने उनसे मुलाकात की थी। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अमेरिका में भारतीय दूतावास द्वारा ऐतिहासिक ‘लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस’ में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “मैंने जलवायु संकट का जिक्र किया और उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने महात्मा गांधी और पर्यावरण के बारे में बात की।”
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पेलोसी ने अपने भाषण कहा, “उन्होंने (मोदी) हमें बताया कि चाहे जल संरक्षण हो या जो कुछ भी हो, गांधी ने प्रकृति का मूल्य और इस बात को समझा कि हमें उसका सम्मान करना होगा।’’ उन्होंने कहा कि अगर गांधी आज जीवित होते, तो वह इस चुनौती से निपटने के लिए आंदोलन का नेतृत्व करते। 
इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में एक कार्यक्रम में पूछा था कि अगर महात्मा गांधी एक स्वतंत्र देश में पैदा हुए होते, तो क्या होता। हम इस विचार को शायद और भी आगे ले जा सकते। हम खुद से पूछ सकते हैं कि अगर वह आज हमारे बीच होते, तो वह किस चीज की हिमायत करते।” 

लड़कियों के शौचालय पर पीएम मोदी के भाषण को अजीब तरीके से देखा गया : जयशंकर

उन्होंने कहा, “इसका जवाब सरल नहीं है, क्योंकि गांधी जी के दृष्टिकोण और उनके विचार मानव जीवन में बहुत व्यापक स्तर तक फैले हैं। हम एक हद तक इसे कुछ सीमाओं के भीतर परिभाषित कर सकते हैं, संभवत: 17 स्थायी विकास लक्ष्यों के जरिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ तरीके से बताया जा सकता है। इन लक्ष्यों को आज दुनिया हासिल करना चाहती है।”
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जयशंकर ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय संबोधन में लड़कियों के लिए शौचालय की बात करना लोगों को अजीब लगा। उन्होंने कहा कि वे लोग शायद गांधी की एक प्रसिद्ध कहावत को भूल गए कि ‘स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है’ या ‘स्वच्छता, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका तक पहुंच सुनिश्चित कर मानव अधिकारों को सबसे व्यावहारिक रूप में प्रदान किया जा सकता है।’ 
उन्होंने कहा, “स्पष्ट रूप से भारत के लोगों ने एक अलग ढंग से इन चीजों को लिया और समय आने पर इसे दृढ़ता से लागू भी किया। यदि गांधी जी आज किसी एक चुनौती पर हमें ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते, तो वह चुनौती जलवायु परिवर्तन से निपटने की चुनौती होती।”

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