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न्यूयॉर्क ने मुंबई 26/11 हमले को गंभीरता से लेते हुए खुद को और सुरक्षित करने के लिए तत्काल उपाय लागू किए

मुंबई में 26-29 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमलों के तुरंत बाद, न्यूयॉर्क शहर – जो कि मुंबई की तरह ही तटीय, बहु-सांस्कृतिक, ग्लैमर और मनोरंजन केंद्र, घनी आबादी वाला महानगर और एक अंतरराष्ट्रीय वित्त केंद्र (आईएफसी) है – ने इसे गंभीरता से लिया और खुद को और सुरक्षित करने के लिए तत्काल उपाय लागू किए।

 मुंबई में 26-29 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमलों के तुरंत बाद, न्यूयॉर्क शहर – जो कि मुंबई की तरह ही तटीय, बहु-सांस्कृतिक, ग्लैमर और मनोरंजन केंद्र, घनी आबादी वाला महानगर और एक अंतरराष्ट्रीय वित्त केंद्र (आईएफसी) है – ने इसे गंभीरता से लिया और खुद को और सुरक्षित करने के लिए तत्काल उपाय लागू किए। मुंबई हमलों से बमुश्किल सात साल पहले, 11 सितंबर, 2001 के आतंकवादी हमलों के साथ न्यूयॉर्क शहर (एनवाईसी) मुंबई की तरह डरा हुआ था और शहर के अधिकारी कोई जोखिम नहीं लेना चाहते थे। यह अमेरिकी सीनेट की होमलैंड सुरक्षा और सरकारी मामलों की समिति की विस्तृत दो सत्रों की सुनवाई (8 और 28 जनवरी, 2009) से उभरा। 
मुंबई में इस्तेमाल ‘रणनीतियों’ पर जानकारी एकत्र
समिति की अध्यक्षता सीनेटर जोसेफ आई. लिबरमैन ने की थी, जिनके कानून ने होमलैंड सुरक्षा विभाग के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और 15 अन्य अमेरिकी सीनेटरों और सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी भाग लिया था। पैनल के सामने अपनी बात रखते हुए, न्यूयॉर्क शहर के पुलिस विभाग के तत्कालीन आयुक्त रेमंड डब्ल्यू. केली ने कहा कि एनवाईपीडी के विदेशी संपर्क कार्यक्रम की 3 सदस्यीय वरिष्ठ अधिकारियों की टीम यहां जांच में शामिल हुए बिना हमले के कुछ घंटों के भीतर मुंबई में इस्तेमाल की गई ‘रणनीतियों’ पर अधिकतम जानकारी एकत्र करने के लिए आई थी। 
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टीम, जिसमें एक ऐसा अधिकारी शामिल था, जिसने 11 जुलाई, 2006 को शहर की ट्रेनों में सिलसिलेवार विस्फोटों के दौरान मुंबई का दौरा किया था, जिसमें केवल 11 मिनट में 189 लोगों की मौत हो गई थी और 700 नागरिक घायल हो गए थे। उन्होंने उस समय सभी लक्षित स्थलों का दौरा किया था और तस्वीरें क्लिक की थी, जिसके बाद उन्होंने मुंबई पुलिस से बात की। दोनों आतंकी हमलों – 7/11, 2006 और 26/11, 2008 – के लिए लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) को जिम्मेदार ठहराया गया था, लेकिन एनवाईपीडी के विशेषज्ञों ने कहा कि बाद वाले घटनाक्रम ने आत्मघाती बमों से आतंकवादी रणनीति में बदलाव का संकेत दिया है। 
संवाद करने के लिए ‘हाथ के संकेतों’ का उपयोग
यह हमला इसलिए भी अलग तरह का था, क्योंकि इसमें उच्च-प्रशिक्षित, भारी हथियारों से लैस गुर्गों की एक छोटी टीम ने कमांडो-शैली के सैन्य हमले की तरह इसे अंजाम दिया था और लक्षित स्थानों पर बेरहमी के साथ गोलीबारी की थी। इसमें एके-56 असॉल्ट राइफलें, रूसी एके-47 राइफल्स की एक चीनी निर्मित कॉपी, जिसमें 600-65 राउंड प्रति मिनट की फायरिंग दर के साथ 30-राउंड की मैगजीन होती है, का इस्तेमाल किया गया था। 
1637929967 04इसके अतिरिक्त 10 हमलावर अपने साथ गोला-बारूद के साथ डफेल बैग, कम से कम आधा दर्जन हथगोले, और एक आईईडी (प्लास्टिक विस्फोटक) भी लिए हुए थे। एनवाईपीडी टीम ने नोट किया कि कैसे 10 हमलावरों ने नियंत्रित, अनुशासित विस्फोटों में और लक्षित स्थलों पर गोली चलाई। उन्होंने पाया कि उन आतंकवादियों ने अकुशल निशानेबाजों के विपरीत अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया ताकि अधिकतम संख्या में लोगों को निशाना बनाया जा सके। उन्होंने एक करीबी टीम के रूप में काम किया और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर स्पष्ट रूप से संवाद करने के लिए ‘हाथ के संकेतों’ का उपयोग किया। 
हमलावर अरब सागर के रास्ते मुंबई में घुस थे
पूरी तरह से योजनागत तरीके से हमलों को अंजाम देते हुए उन्होंने करीब 60 घंटों तक भय का माहौल कायम रखा। इस हमले को लेकर साथ ही साथ लाइव कवरेज भी चल रही थी, जिससे यह न केवल उसी समय तक, बल्कि लंबे समय तक मीडिया की सुर्खियों में बना रहा। हमलावर अरब सागर के रास्ते मुंबई के मेगा-पोर्ट शहर में घुस आए थे, जिसे देखते हुए अमेरिका की भी चिंता बढ़नी लाजिमी थी, क्योंकि अटलांटिक महासागर के साथ अमेरिका के पूर्वी तट पर न्यूयॉर्क शहर के लिए भी इस प्रकार का घटनाक्रम एक चिंता का विषय हो सकता है। इसके लिए, एनवाईपीडी अधिकारियों को स्वचालित हथियारों से प्रशिक्षित और सुसज्जित किया जाता है, उन्हें न्यूयॉर्क बंदरगाह में प्रवेश करने वाले किसी भी जहाज पर चढ़ने के लिए अधिकृत किया जाता है। 
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यही नहीं, गोताखोर क्रूजर या अन्य जहाजों के होल्ड और पानी के भीतर विस्फोटक उपकरणों के साथ लगाए जा सकने वाले पियर्स का निरीक्षण करते हैं। एनवाईपीडी वैश्विक लैंडमार्क, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को किसी भी समुद्र तटीय हमले से बचाने के लिए यूएस पार्क सर्विस के साथ संयुक्त अभ्यास में संलग्न है। भारी हथियारों से लैस आपातकालीन सेवा अधिकारी प्रतिष्ठित क्वीन मैरी-2 पैसेंजर ओशन लाइनर पर सवार होते हैं, इससे पहले कि यह न्यूयॉर्क हार्बर में प्रवेश करे। यह तैनाती ये सुनिश्चित करने के लिए की जाती है कि कोई भी इसे हाईजैक न कर सके। केली ने जोर देकर कहा कि यूएस कोस्ट गार्ड की मदद से भी, एनवाईपीडी शहर के बंदरगाह की पूरी तरह से रक्षा नहीं कर सकता है, क्योंकि बड़ी मात्रा में अनियंत्रित कार्गो न्यूयॉर्क और पड़ोसी न्यू जर्सी बंदरगाहों में प्रवेश करते हैं, इसलिए तत्काल बंदरगाह और समुद्री सुरक्षा की मांग बढ़ जाती है। मुंबई हमले से सबक लेते हुए यह एक प्रकार से चेतावनी की घंटी है, जिस पर अधिकारी भी सतर्क रहते हैं। 
भारतीय कमांडो 12 घंटे के बाद ही घटनास्थल पर पहुंचे
केली ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा कि कम शक्तिशाली हथियारों और अपर्याप्त प्रशिक्षण वाली मुंबई पुलिस भारी और आधुनिक हथियारों से लैस लश्कर-ए-तैयबा के गुर्गों से तत्काल नहीं निपट पाए और भारतीय कमांडो 12 घंटे के बाद ही घटनास्थल पर पहुंचे। वहीं दूसरी ओर एनवाईपीडी के ईएसयू को भारी हथियारों का उपयोग करने और ‘क्लोज-क्वार्टर बैटल टैक्टिक्स’ (जैसा मुंबई में हुआ था) में संलग्न होने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह जल्द ही इसके नए पुलिस सुरक्षा बलों के लिए एक नियमित प्रशिक्षण बन गया, साथ ही कमांडरों के लिए सामरिक अभ्यास और टेबलटॉप अभ्यास आयोजित करना भी सामान्य हो गया है। मुंबई हमले जैसी स्थिति से निपटने के लिए यह सुरक्षा बल हमेशा तैयार रहता है। एक और चिंता की बात यह रही कि मुंबई में आतंकवादी हैंडलर हमले के क्षेत्र के बाहर से मोबाइल फोन या अन्य पोर्टेबल संचार उपकरणों के माध्यम से संचालन को निर्देशित कर रहे थे, जिससे वह हमले के दौरान रणनीति को समायोजित करने में सक्षम रहे और साथ में लाइव मीडिया कवरेज से भी इस दिशा में काफी प्रभाव पड़ा। 
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केली ने आगे सुरक्षा की दृष्टि से आग्रह करते हुए कहा, हम जानते हैं कि आतंकवाद का अंतरराष्ट्रीय खतरा टला नहीं है। आतंकवादी नई रणनीति के बारे में रचनात्मक रूप से सोच रहे हैं। हमें भी ऐसा ही करना चाहिए। उन्होंने मुंबई 26/11 घटनाक्रम को देखते हुए, एनवाईपीडी प्रमुख ने बुनियादी बातों पर वापस जाने तथा सभी मोचरें पर सुरक्षा को मजबूत करने की अपील की। उन्होंने ऐसी किसी भी परिस्थिति से निपटने और हमलावरों को हराने के लिए तेज एवं अच्छी तरह से प्रशिक्षित सुरक्षा तंत्र पर जोर दिया। समिति में सेन लिबरमैन के अलावा, सीनेटर सुसान कॉलिन्स, कार्ल लेविन, डैनियल अकाका, टॉम कोबर्न, थॉमस कार्पर, जॉन मैककेन, मार्क प्रयोर, जॉर्ज वॉनोविच, मैरी लैंड्रीयू, जॉन एनसाइन, क्लेयर मैकस्किल, लिंडसे ग्राहम, जॉन टेस्टर, रोलैंड ब्यूरिस और माइकल बेनेट शामिल थे।

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