पूरी दुनिया मौन होकर देखती रह गई और अफगानिस्तान पूरी तरह से तालिबान के हाथ में चला गया। 15 अगस्त 2021 की सुबह जब भारत में लोग आजादी का जश्न मना रहे थे तब तालिबान के लड़ाके अफगान राजधानी काबुल पर घेरा डाल रहे थे और अफगान नागरिकों की आजादी पर कब्जा पक्का कर रहे थे।अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से देश के कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं। जिंदा रहने के लिए भोजन और नकदी पाने के लिए निराश-हताश अफगान नागरिक संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम में खुद को पंजीकृत कर रहे हैं।
जिसपर इस्लामिक देशों के समूह ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक रविवार यानी आज को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में शुरू हो गई है। अफगानिस्तान में मानवीय संकट पर चर्चा के लिए इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के मंत्रियों की परिषद का 17वां विशेष सत्र रविवार को इस्लामाबाद में शुरू हुआ।
संसद भवन में आयोजित बैठक में मुस्लिम देशों के प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हो रहे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी सत्र की अध्यक्षता कर रहे हैं। सऊदी अरब के प्रस्ताव पर यह बैठक बुलाई गई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दिन भर चलने वाले इस सम्मेलन में 70 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं, जिसमें 20 विदेश मंत्री और 10 उप विदेश मंत्री शामिल हैं।
युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच, अगस्त के मध्य में तालिबान द्वारा काबुल में सत्ता पर नियंत्रण हासिल किये जाने के बाद देश की अर्थव्यवस्था एक बड़े संकट का सामना कर रही है। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने विदेशों में अरबों डॉलर की संपत्ति के लेन-देन पर रोक लगा दी और देश के लिए सभी तरह के वित्तपोषण को रोक दिया।
सत्र से पहले कुरैशी ने कहा कि बैठक अफगानिस्तान के मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करेगी। उन्होंने कहा,Óहमने पहले ही उस लक्ष्य को हासिल कर लिया है जैसा कि प्रतिभागियों की संख्या से दिख रहा है।” पाकिस्तान पहले ही देश के लिए पांच अरब रुपये (2.8 करोड़ डालर) के सहायता पैकेज की घोषणा कर चुका है। मानवीय स्थिति को लेकर यूरोप में प्रवासियों की आमद के संबंध में चिंताएं उत्पन्न हुई हैं।