पाक ने UN (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद) में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया और उसे फलस्तीनी संकट से जोड़कर पेश किया। पाकिस्तान ने UN में कहा कि विश्व इन मुद्दों पर बात नहीं कर ऐसी बेहद खराब स्थितियों को बस देखता जा रहा है।
UN में एक खुली चर्चा में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कल कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए चुनौतियां ऐसे समय बढ़ती जा रही हैं जब वैश्विक व्यवस्था की बुनियाद हिल रही है।
अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए मुश्किल समकालीन चुनौतियों पर हुई चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, फलस्तीनी और कश्मीरी लोगों को उन्हें नियंत्रित करने वाली ताकतों के हाथों भयावह मानवाधिकार उल्लंघनों का लगातार सामना करना पड़ रहा है जबकि विश्व ऐसी खराब स्थितियों का हल निकालने की बजाए तमाशबीन बना हुआ है।
प्रतिनिधि ने कहा कि अफ्रीका से लेकर अफगानिस्तान तक पूरे विश्व में संघर्ष तेजी से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि सीरिया, लीबिया तथा यमन में गृहयुद्ध और गुटों में लड़ाइयां और अधिक क्रूर होती जा रही हैं जिससे मानव विस्थापन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचता जा रहा है।
यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के रूप में स्वीकार करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की ओर इशारा करते हुए लोधी ने कहा, यरुशलम के दर्जे को बदलने के प्रयासों ने पहले से ही अस्थिर पश्चिम एशिया में और ज्यादा अशांति और उथल-पुथल होने के खतरे को बढ़ दिया है।
उन्होंने कहा, और जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कोरियाई प्रायद्वीप में आगाह किया है कि हम जाने-अनजाने तबाही की ओर बढ़ रहे हैं। ठीक इसी वक्त फलस्तीन और कश्मीर पर लंबे समय से चले आ रहे विवाद भी गहराते जा रहे हैं।
पाकिस्तान UN के विभिन्न मंचों पर अक्सर कश्मीर के मुद्दे को उठाता रहता है। हालांकि लगातार दूसरे साल भी कोई भी देश उसके समर्थन में सामने नहीं आया।
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