प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ओमान दौरे पर भारत की कूटनीति ने बड़ा असर डाला है । बता दे कि पीएम मोदी के दौरे पर भारत और ओमान के बीच अरब और हिंद महासागर क्षेत्र में आपसी सहयोग को लेकर एक समझौता हुआ। इसके आधार पर भारत ओमान के कदम पोर्ट का इस्तेमाल अपनी सैन्य गतिविधियों एवं लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए कर सकेगा।
इस सुविधा के बाद भारत अरब और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के प्रभाव एवं गतिविधियों को न केवल नजर रख सकता है बल्कि उसे नियंत्रित करने की स्थिति में भी आ गया है। यहां तक कि चीन को चुनौती देने में भी सक्षम हो गया है।
हिंद महासागर के पश्चिमी भाग में भारत की रणनीतिक पहुंच के लिए यह समझौता बहुत अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि इसके काफी दूरगामी परिणाम होंगे। बता दें कि इस साल मार्च में पर्शिया की खाड़ी में भारत और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संयुक्त सैन्य अभ्यास किया जाएगा।
जिस तरह से चीन, पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है, उसे देखते हुए दुक्म में भारत की मौजूदगी रणनीतिक तौर पर काफी अहम हो जाएगी। इस समझौते के बाद भारत, चीन को ओमान की खाड़ी में रोकने में सक्षम हो जाएगा।
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