पाकिस्तान में अक्सर हिन्दू और सिख समुदाय के उत्पीड़न की ख़बरें सामने आती है, जिसे लेकर पाकिस्तान की कट्टरपंथी विचारधारा की काफी आलोचना भी होती है पर ये घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है। अब एक नया मामला सामने आया है जिसमे ईसाई समुदाय की एक नाबालिग किशोरी का अपहरण कर जबरदस्ती धर्म परिवर्तन और निकाह कराया गया है।
पाकिस्तान की एक अदालत ने 14 साल की ईसाई किशोरी और उसका अपहरण करने वाले व्यक्ति के बीच विवाह को वैध करार देते हुए कहा है कि शरिया कानून के अनुसार यदि लड़की को मासिक धर्म शुरू हो चुका है तो कम उम्र की लड़की से विवाह मान्य है।
किशोरी को अगवा करने के बाद जबरन इस्लाम धर्म कबूल कराया गया था और अपहरणकर्ता ने उसे उससे विवाह करने को मजबूर किया था।
Huma Younus, 14-year-old Christian girl from Karachi, kidnapped, forcibly converted to Islam and married off to her abductor Abdul Jabbar. Huma, a class 8 student, was taken to Dera Ghazi Khan and papers of her conversion/marriage were sent to her parents. #endenforcedconversions pic.twitter.com/7NnjJZK7VP
— Naila Inayat नायला इनायत (@nailainayat) December 10, 2019
इससे बाद, पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि वे निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे। निचली अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि शरिया कानून के तहत कम उम्र की लड़की से शादी वैध है क्योंकि वह रजस्वला हो चुकी है।
पीड़िता के पिता यूनिस और मां नगीना मसीह के अनुसार पिछले साल अक्टूबर में हुमा को जब अगवा किया गया था तब वह 14 साल की थी और उसे अगवा करने वाले अब्दुल जब्बार ने उसे इस्लाम धर्म कबूल करवाकर शादी करने के लिए मजबूर किया।
उनके वकील तबस्सुम यूसुफ ने शुक्रवार को बताया कि वे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। सिंध उच्च न्यायालय ने हुमा की कम उम्र को जानते हुए भी उसके कथित अगवाकर्ता जब्बार और उसके बीच शादी को यह कहकर वैध ठहराया था कि हुमा रजस्वला हो चुकी है।