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टेरर फंडिंग मामलें में पाक को मिला चीन, सऊदी और तुर्की का साथ

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नई दिल्ली : पाकिस्तान के तीन करीबी मित्र देश चीन, सऊदी अरब और तुर्की ने अमेरिकी सरकार के उस कदम पर को रोकने के लिए हाथ मिलाए हैं जिसमें इस्लामाबाद को वैश्विक आतंकी फंडिंग करने वाले देशों के वॉच लिस्ट में रखने की बात कही थी। अमेरिका के पाकिस्तान पर आतंकी गतिविधियों के कारण दवाब बनाने पर चीन की यह एक और नई चाल है। अब पाकिस्तान के लिए यह राहत की बात है जब अमेरिका चौतरफा तरीके से उस पर दवाब बना रहा है, उसे चीन, सऊदी अरब और तुर्की का साथ मिल रहा है। दरअसल अमेरिका पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की मीटिंग के दौरान पाकिस्तान पर कार्रवाई की योजना बना रहा था।

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पहली बार है, जब किसी मुद्दे पर सऊदी अरब और ट्रंप प्रशासन के बीच सहमति नहीं बन पाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी अरब, पाकिस्तान का साथ गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) की वजह से दे रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका अभी भी इस कोशिश में है कि FATF इस पर आज कोई फैसला करे।हालांकि पाकिस्तान ने बुधवार को दावा किया था कि उसने अमेरिका के प्रयास को विफल कर दिया है। पैरिस के अंतरराष्ट्रीय वॉचडॉग ने उसे इस मामले में तीन महीने की छूट दे दी है।

बता दें कि FATF एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो विभिन्न देशों के बीच मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे मामलों को देखता है। 18 फरवरी को पैरिस में FATF की बैठक शुरू होने से पहले ही इस बात की चर्चा गर्म थी कि अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों की मदद से पाकिस्तान को निगरानी सूची में डालवाने की पूरी कोशिश करेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, यह अमेरिकी दबाव का ही नतीजा है कि गुरुवार को इस मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ फिर से वोटिंग की गुंजाइश बन रही है। दूसरी तरफ पाकिस्तान भी समर्थन जुटाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है।

अमेरिका का साफ कहना है कि पाकिस्तान ने पाकिस्तान ने आतंकवाद को फंडिंग रोकने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने के लिए उचित कदम नहीं उठाया है। ऐसे में अमेरिका की कोशिश पाकिस्तान पर और दबाव बनाने की है। पिछले महीने ही अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलने वाली करोड़ों डॉलर की सैन्य सहायता रोक दी थी। हालांकि पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार करता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर पाकिस्तान को इस लिस्ट में शामिल कर लिया जाता है तो आर्थिक तौर पर पाकिस्तान को काफी नुकसान होगा। पाकिस्तान के साथ व्यापार करने की इच्छुक अंतरराष्ट्रीय कंपनिया, बैंक और ऋण देने वाली अन्य संस्थाएं वहां निवेश करने से पहले कई बार सोचेंगी। ऐसे में इसका सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर होगा।

बता दें कि FATF की मीटिंग शुक्रवार तक चलने की उम्मीद है। बुधवार को अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीदर नॉर्ट ने कहा था कि FATF पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को फंडिंग देने वाले देशों की सूची में शामिल किए जाने के मुद्दे पर पर गुरुवार को फैसला ले सकता है। एफएटीएफ की इस सूची में पाकिस्तान को पिछली बार फरवरी 2012 में डाला गया था और वह तीन साल तक इस सूची में रहा था।

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