भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 के सभी खंडो को समाप्त कर दिया गया है। भारत सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय से सबसे ज्यादा आघात पाकिस्तान को हुआ है और उसने इस मसले पर विरोध भी जताया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान मुस्लिम देशों और अपने मित्र राष्ट्रों से गुजारिश भी कर रहे है कि वह अपना समर्थन पाकिस्तान को दे और भारत सरकार के इस निर्णय का विरोध करने में उनका साथ दें. लेकिन फिलहाल वह अपने इस विरोध में अलग-थलग पड़ गए हैं।
भारत के इस साहसिक निर्णय के खिलाफ पाकिस्तान को कोई भी देश किसी भी तरह से मदद नहीं कर रहा है।पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि भारत अधिकृत जम्मू-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय तौर पर विवादस्पद क्षेत्र है।इस अंतरराष्ट्रीय विवाद में एक पक्ष होने के नाते पाकिस्तान इस गलत कदम का विरोध करने के लिए सारे विकल्पों का उपयोग करेगा ।
पाकिस्तान कश्मीर विवाद को लेकर कई देशों के सामने रोता रहता है और बार-बार किसी न किसी बहाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को सही बताने की कोशिश करता रहा,लेकिन अब इमरान सरकार यह सोच रही होगी कि इस्लामाबाद आत्मनिरीक्षण कर रहा होगा कि कहीं राष्ट्रपति ट्रंप के कश्मीर पर मध्यस्थता के प्रस्ताव का दांव ही उल्टा तो नहीं पड़ जाएगा।
वही ,इस्लामिक सहयोग संगठन की तरफ से भी अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पाकिस्तान का हमेशा साथ देने वाला उसका परम मित्र चीन भी अभी तक इस मसले पर कुछ नहीं बोला है क्योंकि भारत सरकार ने लद्दाख के दर्जे को भी बदल दिया है जिसके बड़े हिस्से अक्साई चिन को चीन अक्सर अपना हिस्सा होने का दावा करता है।
मोदी सरकार के द्वारा अनुच्छेद -370 समाप्त किए जाने के बाद अमेरिका ने इस निर्णय को भारत सरकार का मामला कह कर दुनिया को जवाब दिया है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा है कि हमारा तंत्र जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर बारीकी से नज़र बनाये हुए है और हम सारे मसले पर जानकारी रख रहे है।