पाकिस्तान (Pakistan) के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी (Bilawal Bhutto Zardari) ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा जब उनका देश भारत के साथ कूटनीतिक और आर्थिक रूप से भी जुड़ सकेगा। जरदारी ने अपने विभिन्न पड़ोसियों के साथ पाकिस्तान के आर्थिक और व्यापार के अवसरों को अनलॉक करने के लिए आवश्यक विभिन्न कदमों के बारे में बात करते हुए कहा “आज नहीं तो कल, वह दिन आना ही होगा। उस दिन हम अपनी पूरी आर्थिक क्षमता को अनलॉक करेंगे, और समृद्ध होंगे।”
लड़ाई भुलाकर पाकिस्तान का विकास करना चाहते हैं जरदारी
उन्होंने पड़ोसी देशों से हुए कई संघर्षों के बारे में बात करते हुए कहा, “मुझे उम्मीद है कि मेरे जीवनकाल में वह दिन आएगा, जब हम अपने क्षेत्र में संघर्षों को हल कर पाएंगे और उस दिन हम अपनी पूर्ण विकास क्षमता को अनलॉक करने में भी सक्षम होंगे।” हालांकि, जरदारी ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान जब भी किसी अन्य देश के साथ कूटनीतिक या आर्थिक रूप से जुड़ा होता है तो वह अपने राष्ट्रीय हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेन संकट को हल करने का एकमात्र तरीका बातचीत और कूटनीति है।
बिलावल जरदारी ने मानवता को लेकर कही यह बात
वह वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक 2022 के मौके पर पाथफाइंडर ग्रुप और मार्टिन डॉव ग्रुप द्वारा आयोजित दावोस में वार्षिक पाकिस्तान ब्रेकफास्ट सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा,“यह एक ऐसा समय है जब मानवता एक नहीं बल्कि कई संकटों का सामना कर रही है, चाहे वह कोविड 19 महामारी हो, जलवायु परिवर्तन या कई और संघर्ष हों।”
उन्होंने आगे कहा कि “क्या हम इतिहास में किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना-जाना चाहते हैं जिसने संवाद के माध्यम से संकटों और संघर्षों को हल किया या जिसने अधिक संघर्श पैदा किया? संघर्षों को सुलझाना सिर्फ हमारे जैसे छोटे देशों के हित में नहीं है, बल्कि बड़े देशों और सभी के हित में है।
पुराने संघर्षों को भूलकर आगे बढ़ेगा पाकिस्तान?
जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान यूक्रेन में लोगों के प्रति सहानुभूति रखता है और हम दृढ़ता से मानते हैं कि इस संघर्ष को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए”। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान विभिन्न संघर्षों के गंभीर आर्थिक परिणामों का भी सामना कर रहा है। क्या हमें बार-बार वही पुरानी लड़ाइयां लड़नी चाहिए या हमें आधुनिक मुसलमानों के देश के रूप में पहचाने जाने और एक समृद्ध भविष्य की आकांक्षा रखनी चाहिए?”